शेयर मार्केट में अक्टूबर माह में हुई जमकर बिकवाली, कोविड के बाद निफ्टी के लिए सबसे खराब माह
अक्टूबर माह में शेयर मार्केट में लगातार बिकवाली हुई और बाज़ार ने पूरे माह अपना सपोर्ट लेवल तलाश किया. एफआईआई सेलिंग, हाई वैल्यूएशन, चाइना फैक्टर के कारण बाज़ारों में पूरे माह सेल ऑफ रहा. सेंसेक्स और निफ्टी 50 ने लगातार सेल ऑफ के मामले में मार्च 2020 के बाद से अपना सबसे खराब महीना देखा, जब कोविड-19 लॉकडाउन की घोषणा के बाद बाजार में गिरावट आई थी. कोविड-19 बाजार की गिरावट डी-स्ट्रीट के इतिहास में देखी गई सबसे खराब गिरावट में से एक थी, जिसमें बेंचमार्क सूचकांक 23% से अधिक गिर गए थे.लगभग साढ़े चार वर्षों के बाद भारतीय शेयर बाजार एक बार फिर दोराहे पर खड़ा है और एक और बड़ी बिकवाली का सामना कर रहा है, जिसका मुख्य कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा इक्विटी निवेश में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का आउट फ्लो और दूसरी तिमाही के अर्निंग सीज़न में आई सुस्ती है.अक्टूबर में सेंसेक्स में 5.82% की गिरावट आई, जबकि निफ्टी 50 में 6.22% की गिरावट आई. अपने रिकॉर्ड हाई लेवल से सेंसेक्स 7.66% नीचे है और निफ्टी 50 में 7.88% की गिरावट आई है.बाजार में नुकसान बहुत अधिक बढ़ने के साथ बीएसई में लिस्टेड सभी स्टॉक का कुल बाजार पूंजीकरण इस महीने में 29.41 लाख करोड़ रुपये घट गया. अक्टूबर में बिकवाली का क्या कारणविदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा की गई बिकवाली किसी एक महीने में विदेशियों द्वारा की गई सबसे अधिक बिकवाली रही है, जो कोविड-19 के दौरान देखी गई बिकवाली से कहीं अधिक है. अक्टूबर में एफआईआई द्वारा की गई बिकवाली का आंकड़ा 1,13,858 करोड़ रुपये रहा, जो किसी एक महीने में उनकी अब तक की सबसे अधिक बिकवाली है.कॉर्पोरेट अर्निंग याने कंपनी के तिमाही के नतीजे भी निवेशकों के लिए निराशाजनक रहे हैं. इसके अलावा सितंबर के दूसरे पखवाड़े में 30 प्रतिशत से अधिक की तेजी वाले चीनी बाजार ने भी भारतीय इक्विटी से पैसा खींच लिया.डी-स्ट्रीट की परेशानी को और बढ़ाने वाले कारक थे हुंडई मोटर इंडिया जैसे बड़े आईपीओ और कई कंपनियों के प्रमोटरों द्वारा क्यूआईपी मार्ग का उपयोग कर फंड जुटाना, जिससे सेकेंड्री मार्केट से फंड निकल गया.जिओ-पॉलीकल टेंशन और अगले महीने होने वाले अमेरिकी चुनाव के परिणाम को लेकर अनिश्चितता भी हालिया मार्केट करेक्शन में योगदान दे रही है.शेयर बाजार से आगे क्या उम्मीदजियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई आगे भी बिकवाली जारी रखने की संभावना है, क्योंकि मिडिल-ईस्ट में टेंशन बढ़ने और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता के कारण बाजार का अपट्रेंड कमजोर हो गया.उन्होंने कहा, "चीनी शेयरों में तेजी कम होती दिख रही है, जैसा कि हाल के दिनों में शंघाई और हैंग सेंग इंडेक्स में गिरावट के रुझान से पता चलता है. भारत में ऊंचे हाईवैल्यूएशन को देखते हुए एफपीआई बिकवाली जारी रख सकते हैं, जिससे बाजार में किसी भी संभावित तेजी पर रोक लग सकती है."उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार अगले कुछ दिनों तक अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों पर रिस्पॉन्स करेंगे, जिसके बाद अमेरिकी जीडीपी वृद्धि, मुद्रास्फीति और फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती जैसे बुनियादी कारक बाजार की चाल को प्रभावित करेंगे.सैंक्टम वेल्थ में डेरिवेटिव्स और टेक्निकल एनालिस्ट के प्रमुख आदित्य अग्रवाल भारतीय बाजारों को लेकर आशावादी हैं और उम्मीद करते हैं कि इंडेक्स 12 महीने की अवधि में मध्य दोहरे अंकों में रिटर्न देंगे. हालांकि शॉर्ट टर्म नजरिए से बाजार वोलेटाइल रहेंगे और 4-5 प्रतिशत की गिरावट देख सकते हैं. हम मिड और स्मॉल-कैप के बजाय लार्ज-कैप स्टॉक को प्राथमिकता देते हैं और उम्मीद करते हैं कि अगले 12 महीनों में हैवीवेट बेहतर प्रदर्शन करेंगे.आईटीआई एएमसी के सीआईओ राजेश भाटिया कहते हैं कि हमें अपनी उम्मीदें थोड़ी कम कर लेनी चाहिए. अगर हम अगले 12 महीनों में निफ्टी में 10 से 12 फीसदी का रिटर्न पाने में सक्षम रहते हैं तो यह बुरा नहीं होगा. यह अच्छा रिटर्न होगा.