क्यों लगता है महाकुंभ मेला?
पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि जब अमृत कलश लेकर निकले थे, तो उसे पाने के लिए असुरों और देवताओं में युद्ध हो गया था. असुरों और देवताओं से अमृत कलश को बचाने के लिए करीब 12 वर्ष तक धन्वंतरि जी ब्रह्मांड में इधर-उधर घूम रहे थे. जब धन्वंतरि जी अमृत कलश को लेकर ब्रह्मांड का चक्कर लगा रहे थे, तो उस दौरान अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिर गई थी. जिस जगह पर अमृत की बूंदें गिरी थी, उन्हीं 4 स्थानों पर 12 वर्ष के अंतराल में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है.
हर 12 वर्ष बाद क्यों लगता है महाकुंभ मेला?
अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच करीब 12 दिनों तक लड़ाई चली थी. धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवताओं के 12 दिन मनुष्य के 12 सालों के समान होते हैं. इस वजह से हर 12 वर्ष बाद महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.
महाकुंभ स्नान की ठीक तिथियां
13 जनवरी 2025 को प्रयागराज महाकुंभ का पहला स्नान किया जाएगा, जिस दिन पौष मास की पूर्णिमा भी है.
महाकुंभ का दूसरा स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन किया जाएगा.
29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या है, जिस दिन महाकुंभ का तीसरा स्नान किया जाएगा.
3 फरवरी 2025 को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा, जिस दिन महाकुंभ का चौथा स्नान किया जाएगा.
महाकुंभ का पांचवां स्नान 12 फरवरी 2025 को माघी पूर्णिमा के दिन किया जाएगा.
प्रयागराज महाकुंभ का छठा और आखिरी स्नान 26 फरवरी 2025 को किया जाएगा, जिस दिन महाशिवरात्रि भी है.