Jivraj Narayan Meht Death Anniversary गांधी जी के डॉक्टर थे गुजरात के सबसे पहले मुख्यमंत्री, पुण्यतिथि के मौके पर जानें इनका जीवन परिचय
Samachar Nama Hindi November 07, 2024 01:42 PM

जीवराज नारायण मेहता (अंग्रेज़ी: Jivraj Narayan Mehta; जन्म- 29 अगस्त, 1887 ई., बड़ौदा, गुजरात; मृत्यु- 7 नवम्बर, 1978 ई.) भारत के प्रमुख चिकित्सक और देश सेवक थे। इन्हें गुजरात राज्य का प्रथम मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ था। मेहता जी अपने विद्यार्थी जीवन से ही बहुत मेधावी और प्रतिभाशाली छात्र थे। इन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन में ही 'इण्डियन एसोसिएशन' का गठन किया था। यहीं इनका सम्पर्क राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से हुआ और ये गाँधी जी के सहयोगी बन गये। गाँधी जी अपना हर चिकित्सीय परामर्श डॉस्टर जीवराज मेहता से ही लिया करते थे। गाँधी जी और मेहता जी का यह सम्बन्ध जीवन पर्यन्त बना रहा था।

प्रमुख चिकित्सकों और देश के अनन्य सेवकों में से एक जीवराज मेहता का जन्म बड़ौदा रियासत के अमरेली कस्बे में 29 अगस्त, 1887 ई. को एक ग़रीब परिवार में हुआ था। छात्रवृत्ति और ट्यूशन करके जीवराज ने अपनी शिक्षा जारी रखी थी। वे बड़े प्रतिभाशाली छात्र थे। मुंबई के 'ग्रांट मेडिकल कॉलेज' की पढ़ाई में उन्हें आठ में से सात विषयों में छात्रवृत्ति और पुरस्कार मिले थे। आठवें विषय का आधा पुरस्कार भी उन्हीं के हिस्से में आया।

'मुंबई मेडकल कॉलेज' का अध्ययन पूरा करने के बाद जीवराज कॉलेज और टाटा फ़ंड से छात्रवृत्ति लेकर आगे अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए। वहाँ भी एम.डी. की परीक्षा में सर्वप्रथम रहे। कुछ अन्य परीक्षाएँ भी ससम्मान पास करने के बाद वे 1915 ई. में भारत आए और शीघ्र ही उनकी गणना मुंबई के चोटी के डॉक्टरों में होने लगी।

डॉक्टर जीवराज राष्ट्रीय भावनाओं के व्यक्ति थे। विद्यार्थी जीवन में उन्होंने लंदन में 'इंडियन एसोसिएशन' का गठन किया था। गांधी जी से भी उनका सम्पर्क वहीं से हो गया था, जो कि जीवन पर्यन्त बना रहा। 1924 में हंसा मेहता के साथ उनका अंतरजातीय विवाह हुआ। उसी वर्ष वे 'बड़ौदा अस्पताल' के मुख्य चिकित्सा अधिकारी बने। उसके बाद मुंबई के 'किंग एडवर्ड मेडिकल कॉलेज' के प्रधान के रूप में उन्होंने 17 वर्ष तक कार्य किया। क्टर जीवराज मेहता ने 1930 ई. के 'नमक सत्याग्रह' में भाग लिया और गिरफ्तार कर लिये गए। 1942 के 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में भी उन्होंने जेल की सज़ा भोगी।

जीवराज मेहता ने 1930, 1943 और 1945 में 'इंडियन मेडिकल एसोसिएशन' की अध्यक्षता की। 1946 ई. में वे स्वास्थ्य सेवाओं के डाइरेक्टर जनरल बनाये गए। राज्यों के पुनर्गठन के समय वे बड़ौदा रियासत के दीवान बने थे। 1949 में जीवराज मेहता मुंबई राज्य के लोक निर्माण मंत्री और 1952 में वित्तमंत्री बने। 1960 में जब गुजरात नवगठित राज्य बना तो जीवराज मेहता को वहाँ का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया। इस पद पर वह सितम्बर 1960 से अप्रैल 1963 तक रहे। बाद में वह 'यूनाइटेड किंगडम' में भारतीय उच्चायुक्त के रूप में 1963 से 1966 तक रहे। 1971 में वे लोकसभा के सदस्य भी चुने गए थे।

डॉ. जीवराज मेहता गांधी जी के निजी चिकित्सक और सहयोगी थे। गांधी जी के विचारों का उन पर गहरा असर था। एक बार वह गांधी जी के साथ बड़ौदा से इलाहाबाद पहुंचे। गांधी जी के आने की सूचना पहले से थी, इसलिए स्टेशन पर कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जमा थी। गांधी जी के हाथ ख़ाली थे, मगर मेहता जी के हाथ में एक अटैची थी। ट्रेन से उतरते ही एक कार्यकर्ता आगे बढ़ कर मेहता जी के हाथ से अटैची लेने लगा। मेहता जी ने उसे मना कर दिया। उसी समय मेहता जी की नजर एक अधेड़ महिला पर पड़ी, जिसकी गोद में एक छोटा बच्चा था। वह दूसरे हाथ से एक बक्सा संभाले हुई थी। उसे चलने में बहुत कठिनाई हो रही थी।

मेहता जी भीड़ को धक्का देते हुए उस महिला के पास पहुंचे और बोले- "बहन, आप को बहुत दिक्कत हो रही है। यह बक्सा मुझे दे दो। मैं आपको स्टेशन के बाहर तक छोड़ देता हूँ।" वह महिला संकोच करने लगी। उसे असमंजस में देख कर मेहता जी ने कहा- "घबराओ नहीं। मैं कोई चोर-उचक्का नहीं हूँ। तुम्हारा सामान कहीं नहीं जाएगा।" महिला ने अपना बक्सा मेहता जी को पकड़ा दिया। तब तक दूसरे लोग भी वहाँ आ गए। एक कार्यकर्ता मेहता जी के हाथ से बक्सा लेने लगा तो वह बोले- "यह बहुत हल्का है। मुझे कोई परेशानी नहीं हो रही है। तुम लोग उसकी मदद करो, जिसको तुम्हारी मदद की ज़रूरत है। असहायों की सेवा करना ही हमारा कर्म और धर्म है।" सब मेहता जी के व्यवहार से बेहद प्रभावित हुए। गाँधी जी को जब भी चिकित्सा परामर्श की आवश्कता होती थी, तो सदा डॉक्टर जीवराज मेहता को ही याद किया जाता था। देश की अमूल्य सेवा करने वाले इस महान् व्यक्तित्व का 7 नवम्बर, 1978 ई. को निधन हुआ।

© Copyright @2024 LIDEA. All Rights Reserved.