Social Media and Kids Mental Health : आजकल 2-3 साल का बच्चा भी Youtube पर वीडियो देख रहा है। 5-6 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते तो फोन चलाने में पूरी तरह एक्सपर्ट बन जाते हैं. 10 से 15 साल की उम्र में ज्यादातर बच्चे सोशल मीडिया पर आ जाते हैं. कई रिसर्च में इसे खतरनाक बताया गया है. इसकी लत बच्चों की मेंटल हेल्थ (Mental Health) के लिए बेहद हानिकारक है.
यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया (Australia) 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन करने जा रहा है. ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीज ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी. इससे पहले भी कई देश बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर रोक लगाई है. ऐसे में आइए जानते हैं सोशल मीडिया का बच्चों की मेंटल हेल्थ पर कितना असर होता है...
बच्चों की मेंटल हेल्थ कैसे प्रभावित करता है फोन
सैपियन लैब्स की एक ग्लोबल रिसर्च रिपोर्ट में पता चला है कि कम उम्र में स्मार्टफोन रखने वाले बच्चों की मेंटल हेल्थ आगे चलकर ज्यादा खराब होती है. रिसर्च में पाया गया है कि 6 साल की उम्र में स्मार्टफोन चलाने वाली बच्चियां आगे चलकर 76% मामलों में किसी न किसी तरह की मानसिक समस्या की चपेट में आईं.
सोशल मीडिया से डिप्रेशन में जा रहे बच्चे
2019 में अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन स्टडी में पता चला कि जो बच्चे 3 घंटे से ज्यादा सोशल मीडिया पर अपना समय दे रहे हैं, उनमें डिप्रेशन का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है. प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में दुनिया के 378 करोड़ लोग सोशल मीडिया यूज कर रहे थे. इनमें से 84% यूजर 18-29 साल के थे. कई मनोचिकित्सक सोशल मीडिया शराब और सिगरेट की लत की तरह ही मानते हैं, जिसे छोड़ पाना बिल्कुल भी आसान नहीं है. कई बच्चे जो सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उनमें एंग्जाइटी भी हो रही है.
बच्चों की उड़ रही नींद
कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि सोशल मीडिया बच्चों की नींद उड़ा रहा है. इससे उनके दिमाग की बत्ती गुल हो रही है. ये आदत उनके कॉन्फिडेंस को भी हिला रहा है. इससे बच्चों का खानपान का तरीका भी प्रभावित हो रहा है. इससे उनकी मेंटल हेल्थ पूरी तरह बिगड़ रही है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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