देहरादून : उत्तराखंड में सड़कों पर लगातार बढ़ते हादसों ने चिंता बढ़ा दी है। आए दिन खबरें आती हैं कि यात्री वाहन गहरी खाई में जा गिरते हैं, जिससे लोगों की जान जाती है। हाल ही में अल्मोड़ा जिले में हुआ एक ऐसा ही भयावह दुर्घटना सामने आया था, जिसमें यात्रियों से भरी बस खाई में गिर गई और 36 लोगों की जान चली गई थी। इस गंभीर परेशानी का हल ढूंढने के लिए राज्य के परिवहन विभाग ने कठोर कदम उठाने का निर्णय किया है।
उत्तराखंड परिवहन आयुक्त ने देहरादून आरटीओ को निर्देश दिए हैं कि वे हादसा संभावित स्थलों की पहचान और निरीक्षण करें। एआरटीओ (प्रवर्तन) ऑफिसरों को पुलिस एवं लोक निर्माण विभाग के ऑफिसरों के साथ मिलकर घातक मार्गों का सर्वेक्षण करने को बोला गया है। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट 31 दिसंबर तक सौंपने के निर्देश दिए हैं।
दुर्घटना संभावित स्थलों को तलाशेगा विभाग
लोकल 18 से वार्ता के दौरान देहरादून आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी ने बोला कि हमने अपने क्षेत्र के ऑफिसरों को प्रत्येक मार्ग पर हादसा संभावित स्थलों की पहचान के लिए पुलिस और लोक निर्माण विभाग के साथ संयुक्त सर्वेक्षण करने के आदेश दिए हैं। वर्तमान में चिन्हित स्थलों की फिर से समीक्षा भी की जाएगी, ताकि सुधार के बेहतर सुझाव मिल सकें। संबंधित ऑफिसरों को मार्गों का सर्वेक्षण कर चिन्हित स्थल का लॉन्गिट्यूड, लैटिट्यूड, जगह का नाम, मुख्य जगह से दूरी समेत सुधार के सुझाव 31 दिसंबर तक देने के निर्देश दिए गए हैं।
इन 13 मानकों से होगी पहचान
ऐसे स्थल जहां मार्ग की सुरक्षा के अभाव में हादसा की संभावना अधिक हो, उन्हें हादसा संभावित स्थल माना जाता है। इन स्थलों के चिन्हित स्थानों के लिए परिवहन विभाग ने कुछ विशेष मानक तय किए हैं:
1. कम चौड़ाई: निर्धारित मानक से कम चौड़ा मार्ग।
2.संकरा मार्ग / बोटलनेक: संकरे मार्ग जहां वाहन गुजरना मुश्किल होता है।
3. भूस्खलन क्षेत्र: ऐसे क्षेत्र जहां भूस्खलन की आसार अधिक हो
4. पोट होल्स : सड़कों पर बड़े गड्ढे जो हादसा का कारण बन सकते हैं।
5. पैराफिट / क्रैश बैरियर की कमी: घातक मोड़ या 10 मीटर या उससे गहरी खाई पर बैरियर का न होना।
6. सड़क संकेतों का अभाव: रोड साइन्स न होने से यात्री सावधान नहीं रहते।
7. सुरक्षा तरीकों की कमी: तीव्र ढलान पर संकेतों और सुरक्षा तरीकों की कमी।
8. बाधक वस्तुएं: सोल्डर पर बिजली के खंभे, पेड़, होर्डिंग्स, आदि से मार्ग में बाधा।
9. लाइटिंग की कमी: रिहायशी इलाकों में पर्याप्त रोशनी और सुरक्षा उपकरण न होना।
10. मार्किंग की कमी: रोड मार्किंग, डेलीनेटर, कैट आई, सेंटर लाइन, गति कामिंग मीजर्स न होना।
11. साइन बोर्ड का अभाव: उचित संकेत न होने से यातायात को दिशा में कठिन होती है।
12. तीव्र ढलान वाले मार्ग: जहां अचानक ढलान से नियंत्रण खोने की आसार हो।
13. अंधे मोड़: तीव्र और अंधे मोड़ जहां सामने आता वाहन न दिखे।
बढ़ाई जाएगी सड़कों पर सुरक्षा
सर्वेक्षण के बाद परिवहन, पुलिस और लोक निर्माण विभाग की संयुक्त रिपोर्ट के आधार पर स्थलों के सुधार के लिए कार्यदायी संस्था से बोला जाएगा। इससे इन हादसा संभावित मार्गों पर सुरक्षा बढ़ाई जा सकेगी और सड़कों पर यात्रा करने वाले यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। उल्लेखनीय है कि बीते तीन दिनों से परिवहन विभाग ने देहरादून, टिहरी और उत्तरकाशी के पहाड़ी मार्गों पर ओवरलोड वाहनों के विरुद्ध चेकिंग अभियान चला रखा है। अभी तक 290 वाहनों का चालान काटा जा चुका है, जिनमें से 94 वाहन ऐसे थे जो ओवरलोड पाए गए थे।उत्तराखंड में सड़कों पर बढ़ते हादसों को रोकने के लिए यह एक सराहनीय कदम है। इस सर्वेक्षण और रिपोर्ट से यह आशा है कि आने वाले समय में यात्रियों की सुरक्षा में हादसुधार होगा और हादसा में कमी आएगी।