एएमयू के पीआर उमर एस पीरजादा और मौलाना मोहम्मद साजिद रशीदी ने दी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया
Indias News Hindi November 08, 2024 10:42 PM

नई दिल्ली, 8 नवंबर . सुप्रीम कोर्ट ने 4-3 के बहुमत से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का अल्पसंख्यक दर्जा फिलहाल बरकरार करते हुए तीन जजों की एक बेंच को एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के पुन: निर्धारण के लिए रेफर किया है. सर्वोच्च अदालत के इस फैसले पर ने एएमयू के पीआर उमर एस पीरजादा और ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद साजिद रशीदी से बात की.

मौलाना मोहम्मद साजिद रशीदी ने कहा, “सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को सिर्फ इसलिए ही बनाया था कि मुस्लिम लोग दुनियावी तालीम यहां हासिल कर सकें. 1965 में इस किरदार को खत्म कर दिया गया था. इसके बाद एएमयू बिरादरी ने फिर इस केस को लड़ा और 1981 में इसको दोबारा बहाल किया गया.”

उन्होंने आगे कहा कि नफरत फैलाने वाले लोगों को मुस्लिम संस्थानों में पूरा हिस्सा चाहिए. लेकिन जब बात मुस्लिम आबादी को उनकी हिसाब से संस्थानों में प्रतिनिधित्व देने की आती है तो वह लोग खामोश हो जाते हैं. बीएचयू में क्या इस हिसाब से बच्चे लिए जाते हैं, जबकि मुस्लिम वहां सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं?

उन्होंने कहा, “2014 के बाद हिंदू-मुस्लिम करने के लिए चीजों को ज्यादा नकारात्मक किया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा है जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को हिंदू-मुस्लिम राज की आग में झोंकना चाहते हैं. एएमयू में इस तरह के दंगे बढ़ाने की कोशिश की की गई जिससे इसका अल्पसंख्यक दर्जा धूमिल हो जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दिया है कि इसके अल्पसंख्यक दर्जे को कोई खत्म नहीं कर सकता है. सर सैयद अहमद खान की जो सोच थी, उसके ही अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया है.”

वहीं से बात करते हुए एएमयू के पीआर उमर एस पीरजादा ने कहा कि यह सिर्फ हर्ष उल्लास की बात नहीं है. सुप्रीम कोर्ट का जो यह फैसला आया है, हम इसको संज्ञान में लेते हैं. यह शिक्षा का मंदिर है. यह डेढ़ सौ साल पुरानी यूनिवर्सिटी है जो देश के नौजवानों की ऊर्जा को सम्मिलित करके देश के लिए काम करती है.

उन्होंने आगे कहा कि इनोवेशन स्टार्टअप, इनक्यूबेशन डिजिटल इंडिया का दौर है. मिनी इंडिया के नाम से हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सुशोभित किया था. जो सर सैयद की सोच थी. उसी के अनुसार यहां देश को सुपर पावर बनाने के लिए यहां के नौजवानों को सम्मिलित करके मजबूती के साथ काम हो रहा है और आगे भी होता रहेगा.

उन्होंने कहा, “हमें यह मालूम था कि हमारा अकादमिक एक्सीलेंस कायम रहेगा, समावेशिता जारी रहेगी और देश के निर्माण के लिए जो हम लोग की जो कमिटमेंट है वह और मजबूती से व्यवस्थित होगी. अभी हमने फैसले की डिटेल्स नहीं देखी है और हम एक बार इसको देखने के बाद आगे की जानकारी देंगे.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्रों ने भी खुशी व्यक्त की थी.

एएस

The post first appeared on .

© Copyright @2024 LIDEA. All Rights Reserved.