फर्रुखाबाद: बचपन से ही राष्ट्र सेवा की सेवा करने का जज्बा था, जिससे मिली लगातार ऊर्जा के दम पर आज फर्रुखाबाद जिले की लेफ्टिनेंट बनकर बेटी ने राष्ट्र भर में नाम रोशन किया है। बचपन से नियमित रूप से पढ़ाई द्वारा हर कक्षा में मेधावी होने का जुनून के मूल्य पर आज अपने सपनों को पूरा किया है।
फर्रुखाबाद शहर के मोहल्ला अंडियाना के निवासी हवलदार क्लर्क की मेधावी बेटी आकांक्षा तिवारी ने सेना में क्लास वन लेफ्टिनेंट बनकर जिले का नाम रोशन किया है। वहीं, वह अपने परिवार की चौथी सदस्य है, जो कि राष्ट्र की सेवा के लिए सेना में गई हैं।
अपनो के सपनों को बनाया अपना
लेफ्टिनेंट आकांक्षा तिवारी के पिता रतनेश तिवारी ने लोकल18 को कहा कि उनकी बेटी का बचपन से सपना राष्ट्र सेवा करने का है। ऐसे में वह पढ़ाई में इस स्तर तक आगे थी कि उससे घर में देर रात यह तक बोलना पड़ता था कि बेटा सो जाओ। अब कल भी पढ़ना है। यही कारण है कि हाई विद्यालय से लेकर इंटर मीडियट तक टॉप रैंक आई। इसके बाद जब पूरे हिंदुस्तान में बेटियों के लिए 220 पद निकले, उसमें भी टॉप रैंक के साथ चयन हुआ। इसके बाद जब बेटी को वर्दी में देखा तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब इस परिवार से वह चौथी फौज में भर्ती होने वाली सदस्य है।
केंद्रीय विद्यालय लखनऊ से की है पढ़ाई
जिले में मूल रूप से जहानगंज पुलिस स्टेशन के गांव झसी निवासी आकांक्षा तिवारी के पिता रतनेश तिवारी की राष्ट्र के कई प्रदेशों तैनाती रही, लेकिन उन्होंने कभी भी बेटी की पढ़ाई से कोई समझौता नहीं किया। इसके साथ ही उसे दिल्ली और लखनऊ जैसे शहरों में रखकर पढ़ाया। इसके लिए उन्होंने हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय लखनऊ कैंट से कराई। वहीं, 12वीं के बाद ही राष्ट्र भर में केवल 220 पदों के लिए आई मिलेट्री नर्सिंग सर्विस के लिए भर्ती निकली जिसमें आवेदन किया।
बेंगलुरु में मिली पहली तैनाती
जिसमें लिखित परीक्षा के बाद में मेडिकल एवं साक्षात्कार पास करके दिल्ली में सेना के सबसे हाई लेवल हॉस्पिटल में ट्रेनिंग का मौका मिला। जहां पर पूरी शिद्दत और लगन से प्रशिक्षण लिया। फिर दिल्ली के कैंट में पासिंग परेड हुई। ऐसे में इसमें अफसरों के अतिरिक्त माता-पिता ने क्लास वन सर्विस लेफ्टिनेंट के स्टार लगाए। इसके बाद अब आकांक्षा तिवारी को पहली तैनाती कमांड हॉस्पिटल बेंगलुरु में पहली तैनाती मिली है।
यह है कामयाबी का राज
लोकल18 को जानकारी देते हुए आकांक्षा तिवारी ने कामयाबी के राज बताए। जिस प्रकार से नियमित रूप से स्कूली शिक्षा से सेना तक 4 घंटे में ही पूरी नींद करनी होती है। वहीं, लेफ्टिनेंट आकांक्षा बताती हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि सेना की ट्रेनिंग हर मुश्किल को जीतने वाली होती है। पहले 2 वर्ष सुबह 4 बजे उठना और रात 1 बजे सोना होता था। इसके साथ ही योगा में भी महारथ हासिल है।