देहरादून: स्वतंत्रता आंदोलन से उत्तराखंड का नाता रहा है। यहां क़ई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का कुछ समय गुजारा है। अंग्रेजी शासनकाल में देहरादून के हरिद्वार रोड स्थित पुरानी कारावास में पंडित नेहरू को चार बार कैद करके रखा गया था। इस सेल को नेहरू वॉर्ड बोला जाता है। इसे लोग नेहरू हेरिटेज सेंटर नाम से भी जानते है।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के रहने वाले एस राणा ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए बोला है कि पंडित नेहरू अक्सर यहां आते रहते हैं। क्योंकि यह एक ऐतिहासिक जगह है जो राष्ट्र के पूर्व पीएम की स्मृति में आज भी हेरिटेज सेंटर के रूप में देहरादून में है। उन्होंने कई पुस्तकों में पढ़ा है कि पंडित नेहरू को देहरादून बहुत अच्छा लगता था। वह यहां घूमने के लिए आते थे और अपने बच्चों को भी उन्होंने यहीं से पढ़ाया है। उन्हें मसूरी के माल रोड पर घूमना बहुत अच्छा लगता था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जब उन्हें अंग्रेजी हुकूमत ने इस सेल में रखा था तो उनके प्रशंसक और सम्बन्धी उनसे यहां मिलने के लिए आते थे।
कई बार कारावास गए पंडित नेहरू
बताया जाता है कि जब उनके समर्थकों की तादाद अधिक हुई तो अंग्रेजों ने कारावास की दीवारों को ऊंचा करवा दिया था। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान पहली बार वर्ष 1932 में पंडित नेहरु को इस कारावास में भेजा गया था। जिसके बाद 1934, 1935 और 1941 में भी उन्हें यहां कैद किया गया था। पं नेहरू को उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ के अधिकतर हिस्से उन्होंने इस कारावास में स्थित पेड़ के नीचे बैठकर ही लिखे थे। अपनी बुक ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में भी उन्होंने इस पेड़ का जिक्र किया है। यदि आप नेहरू वॉर्ड में विजिट करते हैं तो इसमें पंडित नेहरू का शयनकक्ष, पाठशाला, भंडार घर, शौचालय और स्नानघर आज भी संस्कृति विभाग द्वारा उनकी निशानी के तौर पर रखे गए हैं।
नेहरू वार्ड कैसे बना हेरिटेज सेंटर?
मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एनडी तिवारी ने नेहरू वॉर्ड को हेरिटेज सेंटर बनाने की पहल प्रारम्भ की थी जिसे आगे बढ़ाते हुए पूर्व सीएम विजय बहुगुणा ने इसे नेहरू हेरिटेज सेंटर बनवाकर इसका लोकार्पण किया था। उन्होंने यह भी बोला था कि नेहरू वॉर्ड आजादी के परवानों का ‘मक्का’ है जो हमेशा पं नेहरू से जुड़ी यादों को ताज करेगा।