22 साल की युवती ने बॉस को फंसाने के लिए रची साजिश
Suman Singh November 14, 2024 12:28 PM

गाजियाबाद की लॉजिस्टिक कंपनी में 18 हजार की जॉब करने वाली 22 वर्ष की महिला ने बॉस को फंसाने के लिए षड्यंत्र रची. बलात्कार का इल्जाम लगाकर 5 करोड़ रुपए मांगे. पुलिस ने भी मुद्दा सेटल करने के लिए 50 लाख की डिमांड की. व्यवसायी को कारावास हुई, तो उसकी पत्नी से साढ़े 32

पहली- युवती 22 सप्ताह की प्रेग्नेंट थी. अबॉर्शन उसी स्थिति में संभव था, जब वो बलात्कार पीड़िता हो. दूसरी- महिला पर बिजनेसमैन बॉस के फ्लैट में स्पाई कैमरा लगाने और फाइनेंशियल फ्रॉड करने के इल्जाम थे.

गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर के आदेश पर दोबारा इन्वेस्टिगेशन हुई. इसमें पता चला कि बलात्कार मुकदमा झूठा था. इस पूरे मुकदमा में दो इंस्पेक्टर सहित तीन पुलिसवालों की किरदार संदिग्ध पाई गई. अब तीनों पुलिसवालों के विरुद्ध पीड़ित बिजनेसमैन न्यायालय जाने की तैयारी कर रहा है.

 

सबसे पहले समझिए पूरा मुद्दा क्या है?

दिल्ली के थाना बुराड़ी में 4 फरवरी, 2023 को गाजियाबाद के बिजनेसमैन के विरुद्ध बलात्कार और धमकाने के इल्जाम में जीरो FIR दर्ज हुई. महिला ने इस FIR में कुल 4 घटनाक्रम बताए-

  1. 10 मई, 2022 को मैं गाजियाबाद के वैशाली स्थित कंपनी ऑफिस में काम कर रही थी. बॉस यहां से क्लाउड नाइन स्थित फ्लैट पर ले गए. वहां मुझे कोल्ड-ड्रिंक पिलाई. इसे पीकर मैं बेहोश हो गई.
  2. 16 जून, 2022 को मैं क्लाउड नाइन स्थित बॉस के फ्लैट पर रिजाइन देने गई. वहां असलहा दिखाकर उन्होंने मेरे साथ बलात्कार किया.
  3. 13 अक्टूबर, 2022 को मैं दिल्ली के संत नगर बाजार में थी. तभी मेरे पूर्व बॉस ने जबरन कार में बैठाया और असलहा दिखाकर बलात्कार किया.
  4. 13 दिसंबर, 2022 को गाजियाबाद में क्लाउड नाइन की पार्किंग में फिर मेरे साथ बलात्कार किया.

दिल्ली पुलिस ने ये चारों इल्जाम एक ही FIR में मर्ज किए और महिला का मेडिकल कराया. 161 के बयान दर्ज किए और फिर पूरा मुद्दा गाजियाबाद पुलिस को ट्रांसफर कर दिया. दिल्ली पुलिस की 78 पेज की ये रिपोर्ट 23 फरवरी, 2023 को गाजियाबाद पुलिस के पास आई. 11 मार्च की शाम 5.27 बजे ये चिट्ठी गाजियाबाद में थाना कौशांबी पर पोस्टल डाक से पहुंची. सिर्फ़ 33 मिनट में ही कौशांबी पुलिस ने 78 पेज पढ़कर FIR दर्ज कर ली.

दिल्ली पुलिस ने जीरो FIR में IPC सेक्शन-376, 506 लगाए थे. गाजियाबाद पुलिस ने FIR में इनके अतिरिक्त कई और धाराएं बढ़ा दीं. मुकदमा की जांच सब-इंस्पेक्टर रीगल देशवाल को ट्रांसफर हुई. 19 मार्च, 2023 को कौशांबी थाना पुलिस ने आरोपी बिजनेसमैन को अरैस्ट कर कारावास भेज दिया. हालांकि, 21 जून, 2023 को बिजनेसमैन को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से बेल मिल गई.

स्पाई कैमरा लगाने और फाइनेंशियल फ्रॉड में फंसी थी युवती 95 दिन बाद डासना कारावास से छूटकर बिजनेसमैन ने गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र से मुलाकात की. उन्हें पूरा मुद्दा बताया. पुलिस कमिश्नर के आदेश पर तत्कालीन ACP सिद्धार्थ गौतम ने सीक्रेट जांच की. 25 अक्टूबर, 2023 को उन्होंने जांच रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर को सौंपी.

इसमें माना कि बलात्कार की FIR कराने वाली महिला पहले बिजनेसमैन के गाजियाबाद स्थित ऑफिस में काम करती थी. एक बार वह बिजनेसमैन के फ्लैट में स्पाई कैमरा लगाते हुए पकड़ी गई. दूसरी बार उसने इस कंपनी में फाइनेंशियल फ्रॉड किया. महिला 22 हफ्ते की प्रेग्नेंट थी. वो गर्भ गिराना चाहती थी. इसलिए बलात्कार विक्टिम बनकर बिजनेसमैन पर बलात्कार की FIR करा दी. ऐसा करने से उसका दूसरा मकसद भी सिद्ध हुआ. वो ये कि स्पाई कैमरा और फाइनेंशियल फ्रॉड मुकदमा में वो बचना चाहती थी. बचने का तरीका यही था कि बिजनेसमैन को विपरीत फंसा दिया जाए, ताकि वह उसके विरुद्ध पुलिस में कम्पलेन ही न कर पाए.

ACP की शुरुआती जांच रिपोर्ट में बिजनेसमैन पर लगे इल्जाम गलत पाए गए. पुलिस कमिश्नर ने इस मुकदमा की विस्तृत जांच के लिए एक SIT बनाई. 19 फरवरी, 2024 को SIT ने बिजनेसमैन को क्लीन-चिट देते हुए मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी. इसी रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय ने बिजनेसमैन को बरी कर दिया.

57 पेज की रिपोर्ट में तीन पुलिसवालों की किरदार संदिग्ध 4 अक्टूबर, 2024 को पीड़ित बिजनेसमैन ने जन सूचना अधिकार (RTI) के अनुसार गाजियाबाद पुलिस के DCP ट्रांस हिंडन से अपने मुकदमा स्टेटस की डिटेल्ड रिपोर्ट मांगी. DCP ने RTI का उत्तर 3 नवंबर, 2024 को 57 पेज की रिपोर्ट भेजकर दिया. इस रिपोर्ट में तीन पुलिसवालों इंस्पेक्टर प्रभात कुमार दीक्षित, इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर रीगल देशवाल और इंस्पेक्टर अनिल कुमार यादव को गुनेहगार माना गया है.

रिपोर्ट में लिखा है कि तीनों पुलिसवालों ने इस मुकदमा की जांच ठीक से नहीं की. बिजनेसमैन को कारावास भेजने में जल्दबाजी दिखाई. इंस्पेक्टर प्रभात दीक्षित इस समय आगरा और बाकी दोनों पुलिसकर्मी गाजियाबाद में पोस्टेड हैं. इन पर अभी तक कोई एक्शन नहीं हुआ है.

बिजनेसमैन बोला- घटना वाले दिन थाईलैंड में था, पुलिसकर्मियों ने पत्नी से वसूले 32.50 लाख बिजनेसमैन नेको बताया- 11 मार्च, 2023 को मेरे विरुद्ध गाजियाबाद के थाना कौशांबी में बलात्कार की FIR दर्ज हुई. 13 मार्च को मुझे तत्कालीन SHO प्रभात दीक्षित ने टेलीफोन करके बुलाया. मैं उसी दिन पुलिस स्टेशन पहुंचा. मैंने SHO को कहा कि चारों घटनाक्रमों में किसी भी दिन मैं मौके पर उपस्थित नहीं था. एक घटना की तारीख को मेरी मौजूदगी थाईलैंड में थी. मैंने पुलिस को अपनी बेगुनाही के सारे सबूत दिए. इसके बावजूद पुलिस ने उनको दरकिनार कर मुझे कारावास भेजा और फिर चार्जशीट भी लगा दी.

बिजनेसमैन ने बताया- 18 मार्च को इस मुकदमा के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर रीगल देशवाल ने मुझे उत्तर प्रदेश गेट पुलिस चौकी पर बुलाया. सेटलमेंट के नाम पर 50 लाख रुपए मांगे. मैंने कह दिया कि मैं 5 रुपए नहीं दूंगा. 19 मार्च, 2023 को मुझे फिर सेटलमेंट के बहाने थाना कौशांबी बुलाया. वहां अचानक मेरी अरेस्टिंग कर ली गई.

जेल चले जाने के बाद पुलिसकर्मियों ने मेरे परिवार से वसूली का खेल प्रारम्भ किया. भिन्न-भिन्न तारीखों में मेरी पत्नी, ऑफिस फ्रेंड से कुल साढ़े 32 लाख रुपए वसूले गए. गिरफ्तारी से पहले महिला की तरफ से भी मुझसे 5 करोड़ रुपए की डिमांड की गई थी.

एडवोकेट बोले- पुलिसवालों पर न्यायालय मुकदमा करेंगे बिजनेसमैन के अधिवक्ता विपुल पंवार ने बताया- हम इन पुलिसवालों पर लीगल एक्शन के लिए जल्द ही न्यायालय में मुकदमा दाखिल करने जा रहे हैं. हमारे पास सारी कॉल डिटेल्स उपस्थित हैं. जिसमें ये पुलिसकर्मी कथित बलात्कार विक्टिम महिला के परिवार से महीनों पहले से वार्ता कर रहे थे. बलात्कार की FIR ट्रांसफर होकर गाजियाबाद पुलिस के पास मार्च, 2023 में आई. जबकि ये पुलिसकर्मी उस फैमिली के टच में जनवरी, 2023 से थे. इससे गाजियाबाद पुलिस की किरदार पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं.

SIT जांच में जब बिजनेसमैन पर लगे बलात्कार के इल्जाम झूठे पाए गए तो गाजियाबाद पुलिस ने ब्लैकमेलिंग के इल्जाम में युवती, उसकी मां, पिता और भाई को 10 मई, 2024 को अरैस्ट कर कारावास भेज दिया.

पुलिस ने माना कि महिला सेक्सटॉर्शन गैंग चलाती है. इसमें उसके परिवार की भी किरदार थी. महिला पर थाना कौशांबी में एक केस ब्लैकमेल कर बिजनेसमैन को फंसाने, दूसरा बिजनेसमैन के फ्लैट में स्पाई कैमरा लगाने और तीसरा केस बिजनेसमैन की कंपनी में फाइनेंशियल फ्रॉड करने का दर्ज हुआ है. तीनों मुकदमों की जांच चल रही है.

दिल्ली में हुआ अबॉर्शन, लैब पहुंचने से पहले ही DNA सैंपल खराब अब बात आती है, महिला के गर्भ में पल रहे 22 हफ्ते के भ्रूण की. उसका क्या हुआ? दो डॉक्टरों की अनुमति पर 9 फरवरी, 2023 को दिल्ली के लोक नारायण जयप्रकाश हॉस्पिटल (LNJP) में महिला का अबॉर्शन हुआ. उसी दिन दिल्ली की बुराड़ी थाना पुलिस ने हॉस्पिटल पहुंचकर भ्रूण का DNA सैंपल इकट्ठा किया. नियम है, इस तरह के सैंपल 24 से 48 घंटे के भीतर जांच के लिए फोरेंसिक लैब चले जाने चाहिए. लेकिन, ये सैंपल 40 दिन तक बुराड़ी पुलिस स्टेशन के मालखाने में रखा रहा.

23 मार्च, 2023 को पुलिस स्टेशन से DNA सैंपल फोरेंसिक लैब में जांच को भेजा गया. 20 जनवरी, 2024 को फोरेंसिक लैब रिपोर्ट ने उत्तर दिया कि सैंपल खराब हो चुका था. बिजनेसमैन का बोलना है, ये DNA मैच होता ही नहीं. पुलिस को भी ये बात पता थी. इसीलिए पुलिस ने जान बूझकर 40 दिन देर से सैंपल लैब को भेजा, ताकि वो खराब हो जाए.

अबॉर्शन का कानूनी पहलू क्या है? गर्भपात या अबॉर्शन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें अनचाहा गर्भ हटाया जाता है. हिंदुस्तान में यह एक वैध प्रक्रिया है, जिसमें वैवाहिक और गैर-वैवाहिक दोनों ही महिलाएं इस प्रक्रिया को करवा सकती हैं. लेकिन, गर्भावस्था को 20 हफ्ते से अधिक का समय नहीं होना चाहिए. कुछ विशेष मुद्दे में यह समय अवधि 24 हफ्ते तक बढ़ सकती है. जैसे- स्त्री के साथ यौन शोषण, स्त्री को किसी भी प्रकार शारीरिक परेशानी होना या फिर स्त्री की उम्र 18 वर्ष से कम होना.

जो भी महिलाएं यौन उत्पीड़न का सामना करती हैं, वे सभी महिलाएं सुरक्षित गर्भपात करवा सकती हैं. इस प्रक्रिया को करने के लिए कम से कम 2 चिकित्सक की अनुमति चाहिए होती है. इस मुकदमा में भी LNJP के दो डॉक्टरों की अनुमति से कथित बलात्कार पीड़िता का अबॉर्शन हुआ.

NGO फाउंडर बोलीं- पुलिस ऐसे काम करेगी तो आदमी किससे इन्साफ मांगेगा? इस तरह के मुद्दों पर लंबे समय से काम कर रहीं NGO फाउंडर दीपिका नारायण भारद्वाज कहती हैं- इस समय राष्ट्र में हर स्थान लोगों को झूठे बलात्कार मुकदमा में फंसाया जा रहा है. अफसोस की बात ये है कि ऐसे मामलों में पुलिस की भी मिलीभगत होती है. पिछले वर्ष हमने गुरुग्राम में ऐसे ही गिरोह को बस्ट कराया था. इसमें मुनेश देवी नाम की पुलिस ऑफिसर भी इस गैंग से मिली हुई थी. मुंबई में भी अभी दो पुलिस ऑफिसरों को एंटी भ्रष्टाचार ब्यूरो ने अरेस्ट किया है, जिन्होंने बलात्कार मुकदमा में FR लगाने के नाम पर पुरुष से साढ़े 4 लाख रुपए मांगे थे. आशा है कि इस मुकदमा में भी संलिप्त पुलिसवालों पर कार्रवाई होगी.

मामले में पुलिस की किरदार पर भी प्रश्न उठे हैं. ऐसे में हमने गाजियाबाद पुलिस के एक सीनियर पुलिस अधिकारी से बात की. उन्होंने कहा कि तीनों पुलिसवालों की सर्विस बुक में बैड एंट्री दी गई है. इससे इंक्रीमेंट और प्रमोशन पर फर्क पड़ेगा. ऐसे पुलिसवालों को सरलता से कोई जरूरी चार्ज भी नहीं मिल पाएगा. अधिकारी ने कहा कि पुलिसवालों पर साढ़े 32 लाख रुपए लेने के इल्जाम जांच रिपोर्ट में पुष्ट नहीं हो पाए थे. न ही पीड़ित बिजनेसमैन रुपए के लेन-देन से संबंधित कोई रिकॉर्ड लिखित रूप में साबित कर सका.

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