Safe Abortion Time : भारत में हर दिन अबॉर्शन यानी गर्भपात से करीब 8 महिलाओं की मौत हो रही है. जबकि 67% गर्भपात में मौत का खतरा रहता है. 2007-2011 तक के आंकड़ों के तैयार की गई संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की विश्व जनसंख्या रिपोर्ट 2022 में इसका खुलासा हुआ है. इसके मुताबिक, रोजाना 3.31 लाख महिलाएं बिना प्लान प्रेगनेंट होती हैं, जो साल का 12.10 करोड़ है.
आज भी कई महिलाएं बिना जांच के ही कहीं और कभी भी अबॉर्शन करवा लेते हैं, जो बेहद रिस्की होता है. ऐसे में आइए जानते हैं अबॉर्शन कराने का सबसे सेफ टाइम क्या होता है, जिससे महिला की सेहत पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है.
अबॉर्शन क्या होता है, इसे करवाने की नौबत कब आती है
अबॉर्शन को आम बोलचाल में गर्भपात कहते हैं, जो यूटेरस से फीटस हटाने की एक प्रक्रिया है. मां के गर्भ में एक बच्चा 37 हफ्ते तक रहता है. अगर 24 हफ्ते की प्रेगनेंसी से पहले फीटस चली जाए तो उसे अबॉर्शन कहते हैं.कई बार यह नेचुरल हो जाता है, मतलब किसी घटना की वजह से गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो जाती है या कुछ केस में एक मां बच्चे को जन्म ही नहीं देना चाहती, तब मेडिकल हेल्प से अबॉर्शन कराया जाता है.
किस हफ्ते में अबॉर्शन कराना सबसे सेफ
कुल साल पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने 24 हफ्ते की प्रेगनेंट महिला को अबॉर्शन की मंजूरी दी, जिसके बाद से इस पर बहस छिड़ी कि किस हफ्ते में अबॉर्शन सबसे सेफ होता है. गायनाकोलॉजिस्ट्स के अनुसार, 12 हफ्ते के बाद अबॉर्शन नहीं कराया जा सकता है, क्योंकि इस दौरान तक बच्चा गर्भ में विकसित हो चुका होता है.
अगर बच्चा एब्नॉर्मल हो या कोई दिक्कत हो, तभी 24 हफ्ते में अबॉर्शन कराया जा सकता है. 24 हफ्ते में अबॉर्शन करने से मां की जान को भी खतरा हो सकता है. मतलब 12 हफ्ते तक की प्रेगनेंसी में अबॉर्शन कराया जा सकता है. हालांकि, इसकी ज्यादा जानकारी के लिए एक बार डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए.
अबॉर्शन का नया कानून क्या कहता है
एमपीटी संशोधन बिल 2020 के अनुसार, 12 हफ्ते तक डॉक्टर की सलाह पर अबॉर्शन कराया जा सकता है. 12 से लेकर 20 हफ्ते के दौरान भी ऐसी नौबत आती है तो एक डॉक्टर की सलाह की जरूरत होगी. 20 से 24 हफ्ते तक कुछ कैटेगरी की महिलाओं को दो डॉक्टर की सलाह पर अबॉर्शन की अनुमति होगी.
24 से ज्यादा हफ्तों के बाद अगर फीटस में किसी तरह की गंभीर समस्या है तो मेडिकल बोर्ड की सलाह लेनी पड़ेगी. वहीं, प्रेगनेंसी के दौरान अगर मां की जान को खतरा है तो एक डॉक्टर की सलाह पर अबॉर्शन कराया जा सकता है. यहां डॉक्टर का मतलब रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर, जिसे गायनेकोलॉजी या इससे जुड़े ट्रेनिंग मिले है या एक्सपीरिएंस हो.