उत्तराखंड के इस मंदिर में खड़े दीये का अनुष्ठान करने से निःसंतान दंपति को होगा संतान
Suman Singh November 16, 2024 02:28 PM

श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है और यहां कण-कण में भगवान वास करते हैं उत्तराखंड में दैवीय स्थलों और मंदिरों से जुड़ी कई कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं इन मान्यताओं पर लोग 21वीं सदी में भी विश्वास करते हैं और ये मान्यताएं सच भी साबित होती हैं ऐसी ही मान्यता पौड़ी जनपद के श्रीनगर स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर से भी जुड़ी है मान्यता है कि यहां कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन खड़े दीये का अनुष्ठान करने से निःसंतान दंपति को संतान प्राप्ति होती है इसलिये हर साल यहां सैकड़ो की संख्या में निःसंतान दंपति देश-विदेश से खड़े दीये का अनुष्ठान करने के लिये आते हैं

विदेश से आए दंपत्ति
कमलेश्वर मंदिर से जुड़ी मान्यता इतनी प्रचलित है कि इस बार पोलैंड और जर्मनी से क्लाऊडिया और स्टेफन ने भी यहां खड़े दीये का अनुष्ठान किया क्लाऊडिया और स्टेफन ने पूरी रात खड़े होकर घी से भरे दीपक को हाथों में रखकर खड़े दीये का अनुष्ठान किया, साथ ही पूरी रात्रि कमलेश्वर महादेव के नाम का जाप करते रहे वहीं इनके अतिरिक्त 176 राष्ट्र के विभिन्न राज्यों से आये निःसंतान दंपतियों ने भी खड़े दिए का अनुष्ठान किया

गोधूलि बेला में प्रारम्भ होता है खड़ा दीया अनुष्ठान
कमलेश्वर मंदिर में शाम 6 बजे गोधूलि बेला पर खड़े दीये का अनुष्ठान प्रारम्भ होता है और रात भर दंपति खड़े दिये का अनुष्ठान करते हैं सुबह 5 बजे गंगा स्नान के साथ खड़े दिये का अनुष्ठान मंदिर के महंत द्वारा श्रीफल देकर सम्पन्न किया जाता है

क्लाऊडिया और स्टेफन ने किया खड़ा दीया अनुष्ठान
कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने लोकल 18 को कहा कि कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के अवसर पर इस बार 177 दंपतियों ने खड़े दीये का अनुष्ठान किया जिसमें विदेशी दंपति क्लाऊडिया और स्टेफन भी शामिल थे उन्होंने कहा कि कमलेश्वर महादेव मंदिर की इतनी महत्ता है कि यहां हर साल विदेशों से भी संतान प्राप्ति के लिये दंपति आते रहते हैं

ये है कमलेश्वर मंदिर से जुड़ी मान्यता
मान्यता है कि देवता, दानवों से पराजित हो गए थे, जिसके बाद वे भगवान विष्णु की शरण में गए दानवों पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु यहां भगवान शिव की तपस्या करने आए पूजा के दौरान उन्होंने शिव सहस्रनाम के मुताबिक शिवजी के नाम का उच्चारण करते हुए एक-एक कर सहस्र (एक हजार) कमलों को शिवलिंग पर चढ़ाना प्रारम्भ किया विष्णु की परीक्षा लेने के लिए शिव ने एक कमल पुष्प छिपा लिया एक कमल पुष्प की कमी से यज्ञ में कोई बाधा न पड़े, इसके लिए भगवान विष्णु ने अपना एक नेत्र निकालकर अर्पित करने का संकल्प लिया

पूरी होती है मनोकामना
इस पर प्रसन्न होकर भगवान शिव ने भगवान विष्णु को अमोघ सुदर्शन चक्र दिया, जिससे उन्होंने राक्षसों का विनाश किया सहस्र कमल चढ़ाने की वजह से इस मंदिर को “कमलेश्वर महादेव मंदिर” बोला जाने लगा इस पूजा को एक निःसंतान ऋषि दंपति देख रहे थे मां पार्वती के निवेदन पर शिव ने उन्हें संतान प्राप्ति का वरदान दिया तब से यहां कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (बैकुंठ चतुर्दशी) की रात संतान की इच्छा लेकर लोग पहुंचते हैं और खड़े दीप का अनुष्ठान करते हैं

 

© Copyright @2024 LIDEA. All Rights Reserved.