Offbeat: देश के कोने कोने से लाई जाती थी हरम में रहने वाली रखैले और रानियां, पैसे की जगह पगार में मिलती थी ये चीज
JournalIndia Hindi November 16, 2024 03:42 PM

pc: indianews

मुगल काल में हरम के बारे में आपने सुना होगा। हरम वह जगह होती थी जहाँ राजा अपनी कई सारी रानियों को रखते थे। उन्हें जो भी लड़की पसंद आ जाती वह उसे अपने हरम में रख लेते थे। यहाँ केवल रानियां ही नहीं होती थी बल्कि हजारों की संख्या में रानियां, दासियां और अन्य महिलाएं भी थीं। हरम में की रानियों का जीवन अत्यंत जटिल और प्रतिस्पर्धात्मक था। अरबी भाषा से लिया गया शब्द हरम का अर्थ है पवित्र या निजी स्थान, और यह केवल सम्राट के लिए सुलभ था। इस गोपनीयता ने इसे इतिहासकारों के लिए जिज्ञासा का विषय बना दिया है।

लेखक प्राणनाथ चोपड़ा अपनी किताब ‘मुगल युग के दौरान सामाजिक जीवन के कुछ पहलू’ में लिखते हैं कि हरम में अलग-अलग धर्म और संस्कृतियों की महिलाएं रहती थीं। ये महिलाऐं बादशाह और उनके परिवार की जरूरतों को भी पूरा करती थी। लेकिन वे पूरी तरह से पर्दे के पीछे रहती थीं, कुछ ने अपना पूरा जीवन सम्राट को देखे बिना ही बिता दिया।

हरम में रानियों, दासियों और रखैलों के लिए अलग-अलग क्वार्टर थे। यहाँ तक कि सम्राट की पसंदीदा और कम पसंदीदा महिलाओं के लिए भी निर्दिष्ट स्थान थे। प्रत्येक महिला के पास अपने अलग अलग काम थे जैसे कि बगीचों की देखभाल, सजावट की देखरेख, तथा फव्वारे और मोमबत्तियाँ जलाना।

हरम के भीतर सुरक्षा भी अनोखी थी, जिसका प्रबंधन स्थानीय भाषाओं से अपरिचित मज़बूत, विदेशी महिलाओं द्वारा किया जाता था, ताकि उनकी एकांतता और वफ़ादारी सुनिश्चित की जा सके।

वेतन से ज्यादा उन्हें उपहार मिलते थे

हरम में महिलाओं को अच्छा-खासा पैसा मिलता था। उस समय उच्च पदस्थ परिचारिकाएँ ₹1,600 मासिक तक कमाती थीं जो कि तब के हिसाब से काफी अधिक रकम है। उस दौर में सोने की कीमत ₹10 प्रति तोला थी। उन्हें आभूषण और सोने के सिक्के जैसे शानदार उपहार भी मिलते थे।

हालाँकि, हरम में प्रवेश पर सख़्त नियम थे। महिलाओं को वफ़ादारी की शपथ लेनी पड़ती थी और गोपनीयता का भी पालन करना पड़ता था। वे किसी भी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश से मना कर सकती थीं, और यहाँ तक कि शाही आदेश भी नौकरानियों के ज़रिए पहुँचाए जाते थे।

© Copyright @2024 LIDEA. All Rights Reserved.