'भारत को अपनी राह खुद तय करनी होगी', जानें मोहन भागवत ने क्यों कही ये बात?
नीरज कुमार पाण्डेय November 16, 2024 05:42 PM

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने गुरुग्राम के एसजीटी विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन 'विविभा: 2024' का उद्घाटन किया. सम्मेलन का मुख्य विषय ‘विजन फॉर विकसित भारत’ था, जिसमें शोध और विकास पर गहरी चर्चा की गई.

डॉ. मोहन भागवत ने उद्घाटन के दौरान भारतीय शिक्षण मंडल की शोध पत्रिका ‘प्रज्ञानम’ का लोकार्पण किया. उन्होंने कहा कि भारत की विशेषता उसकी समग्र दृष्टि में है और हर भारतीय को एक ‘विकसित और समर्थ भारत’ की जरूरत है. भागवत ने बताया कि भारत को विश्व के सामने एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए जहां विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों को समान रूप से प्राथमिकता दी जाए.

विकास और पर्यावरण का संतुलन

संघ प्रमुख ने विकास और पर्यावरण की रक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण दोनों को साथ लेकर चलना ही पड़ेगा तभी हम भविष्य में बच पाएंगे. तकनीकी विकास के साथ-साथ उन्होंने निर्ममता की बजाय मानवता और संवेदनशीलता पर बल दिया. उनका मानना है कि हमें तकनीक का उपयोग तो करना चाहिए, लेकिन मानवता से समझौता नहीं करना चाहिए.

शिक्षा का उद्देश्य और शोध की महत्ता

भागवत ने शिक्षा के उद्देश्य पर प्रकाश डाला जहां केवल पेट भरने से अधिक कुछ होना चाहिए. उन्होंने शिक्षा के बाजारीकरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान बढ़ाना और समाज को प्रगति की दिशा में ले जाना होना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि भारत को विश्व में एक समृद्ध और सक्षम राष्ट्र बनाने के लिए निरंतर सीखना और नवाचार आवश्यक है.

भारत का भविष्य और ‘विजन 2047’

डॉ. भागवत ने 'विजन 2047' की बात की जहां वे मानते हैं कि अगर हम इस दिशा में काम करते हैं तो 20 वर्षों में भारत विश्व का नेतृत्व कर सकता है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शिक्षा पर दिए गए विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि केवल सोचने से नहीं बल्कि ठोस कदम उठाने से ही परिवर्तन संभव है.

'हर नागरिक का हो समग्र विकास'

भागवत ने अपने विचारों का समापन करते हुए कहा "हमें खुद के प्रतिमान स्थापित करने होंगे और भारत को नंबर 1 बनाना होगा." उन्होंने ये भी कहा कि शिक्षा और विकास के क्षेत्र में भारत को अपनी राह खुद तय करनी होगी और हमें किसी अन्य देश का अनुकरण नहीं करना चाहिए. उनका उद्देश्य भारत को एक ऐसा राष्ट्र बनाना है जहां हर नागरिक का समग्र विकास हो.

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