विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट: रुपये की कमजोरी और फॉरेक्स पर दबाव
Newsindialive Hindi December 28, 2024 03:42 PM

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार गिरावट का सामना कर रहा है। रुपये की कमजोरी का सीधा असर देश के फॉरेक्स रिजर्व पर पड़ रहा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को रुपये की गिरावट रोकने के लिए भारी मात्रा में डॉलर खर्च करना पड़ रहा है।

20 दिसंबर 2024 को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 8.48 अरब डॉलर घटकर 644.39 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पहले 652.87 अरब डॉलर के स्तर पर रहा था, जो छह महीने का सबसे निचला स्तर था।

रुपये की कमजोरी का असर

RBI ने जारी प्रेस रिलीज में बताया कि इस गिरावट का मुख्य कारण करेंसी मार्केट में रुपये को स्थिर रखने के लिए डॉलर की बिक्री है।

  • डॉलर के मुकाबले रुपया:
    • 27 दिसंबर को रुपया 53 पैसे कमजोर होकर 85.79 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया।
    • यह फरवरी 2023 के बाद रुपये की एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है।
  • जानकारों के मुताबिक, रुपये की स्थिति अभी और खराब हो सकती है, खासकर 2025 में।
  • अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों और महंगाई बढ़ाने वाली नीतियों के चलते अनिश्चितता बढ़ने की आशंका है।
आरबीआई का हस्तक्षेप

RBI आमतौर पर अपने भंडार से डॉलर तब बेचता है, जब रुपये में अस्थिरता को रोकने की जरूरत होती है।

  • यह कदम रुपये को सपोर्ट करने के लिए किया गया है, लेकिन इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ा है।
  • जानकारों का कहना है कि मजबूत डॉलर के बीच रुपये को स्थिर रखने की कोशिशें जारी रहेंगी।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार: घटते आंकड़े

20 दिसंबर 2024 तक का डेटा दर्शाता है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार निम्न प्रकार घटा:

  • सोने का भंडार:
    • 2.33 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 65.73 अरब डॉलर।
  • एसडीआर (Special Drawing Rights):
    • 11.2 करोड़ डॉलर घटकर 17.88 अरब डॉलर।
  • आईएमएफ के पास रिजर्व भंडार:
    • 2.3 करोड़ डॉलर घटकर 4.22 अरब डॉलर।
  • पिछले उच्चतम स्तर
    • सितंबर 2024 में विदेशी मुद्रा भंडार 704.88 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर था।
    • लेकिन इसके बाद से यह गिरावट जारी है।
    रुपये और विदेशी मुद्रा भंडार के लिए चुनौतियां
  • डॉलर का मजबूत होना:
    • अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती और डॉलर की बढ़ती मांग का असर फॉरेक्स रिजर्व पर पड़ रहा है।
  • वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता:
    • रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में तनाव के कारण डॉलर के मुकाबले अन्य मुद्राओं पर दबाव बढ़ा है।
  • घरेलू चुनौतियां:
    • रुपये की कमजोरी और बढ़ती आयात लागत ने स्थिति को और खराब किया है।
  • भविष्य की संभावनाएं

    अर्थशास्त्रियों का मानना है कि:

    • रुपये की कमजोरी पर काबू पाने के लिए आरबीआई को अधिक हस्तक्षेप करना होगा।
    • 2025 में अमेरिका की टैरिफ नीतियां और डॉलर की मजबूती विदेशी मुद्रा भंडार को और प्रभावित कर सकती हैं।

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