आरबीआई ने 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ 6.6 फीसदी रहने का अनुमान जताया
newzfatafat December 31, 2024 02:42 AM





मुंबई/नई दिल्ली, 30 दिसंबर (हि.स.)। आरबीआई ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती और स्थिरता का प्रदर्शन कर रही है। वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान है। आरबीआई ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) दिसंबर, 2024 का अंक जारी करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था को ग्रामीण खपत में सुधार, सरकारी खपत और निवेश में तेजी तथा मजबूत सेवा निर्यात से समर्थन मिला है। रिपोर्ट के अनुसार सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात कई वर्षों के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है।

रिजर्व बैंक की यह रिपोर्ट भारतीय वित्तीय प्रणाली की जुझारू क्षमता और वित्तीय स्थिरता के जोखिमों पर वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाती है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) मुनाफा बढ़ने, गैर-निष्पादित आस्तियों में कमी, पर्याप्त पूंजी और नकदी भंडार के कारण अच्छी स्थिति में हैं। परिसंपत्तियों पर प्रतिफल (आरओए) और इक्विटी पर प्रतिफल (आरओई) दशक के उच्चतम स्तर पर हैं, जबकि सकल गैर-निष्पादित आस्ति (जीएनपीए) अनुपात कई साल के निचले स्तर पर आ गया है।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि व्यापक दबाव परीक्षण से पता चलता है कि अधिकांश एससीबी के पास प्रतिकूल स्थिति में पर्याप्त मात्रा में अतिरिक्त पूंजी है। एफएसआर में अर्थव्यवस्था के बारे में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर छह फीसदी पर आ गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 की पहली और दूसरी छमाही में क्रमशः 8.2 फीसदी और 8.1 फीसदी रही थी। रिजर्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा है कि इस हालिया सुस्ती के बावजूद संरचनात्मक वृद्धि चालक बरकरार हैं। घरेलू चालक, मुख्य रूप से सार्वजनिक खपत और निवेश तथा मजबूत सेवा निर्यात के कारण चालू वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी और चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर में सुधार होने की उम्मीद है।

इस रिपोर्ट में महंगाई के बारे में कहा गया है कि बंपर खरीफ फसल और रबी फसल के चलते आगे चलकर खाद्यान्न कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है। हालांकि, चरम मौसम की घटनाओं के बढ़ते रुझानों के कारण जोखिम बने हुए हैं। वहीं, भू-राजनीतिक संघर्ष वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और जिंस कीमतों पर दबाव डाल सकते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर

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