झूठ बोलकर बीमारी के नाम पर छुट्टी लेने वाले हो जाएं सावधान!
Himachali Khabar Hindi January 13, 2025 01:42 AM

झूठ बोलकर ऑफिस से छुट्टी मारकर घूमने जाना या आराम फरमाना अब कर्मचारियों को भारी पड़ सकता है क्योंकि कंपनियां उनके सच-झूठ का पता लगाने के लिए जासूसों की सर्विस ले रही हैं. कंपनियों द्वारा हायर किए गए ये प्राइवेट डिटेक्टिव पता लगाएंगे कि वाकई में कर्मचारी बीमार है या उसने झूठ बोलकर छुट्टी ली है. जर्मनी में कंपनियों द्वारा कर्मचारियों के पीछे जासूस भेजने का यह ट्रेंड सबसे ज्यादा नजर आ रहा है. कमाल की बात यह है कि इन जासूसों ने कई एम्प्लॉईज के झूठ को पकड़ा है.

छुट्टी वाकई में जरूरी या बहाना
कंपनियों द्वारा जासूस लगाकर एम्लॉईज पर नजर रखने का मकसद यह है कि वे जान सकें कि कर्मचारी को वाकई में छुट्टी की जरूरत थी या वो सिर्फ बहाने बना रहा है. दरअसल, बेमतलब के ली जा रही ये छुट्टियां कंपनियों को भारी नुकसान पहुंचा रही हैं.

तेजी से बढ़ रही मांग

प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों का कहना है कि ऐसी मांग करने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ी है. कई एजेंसी ऐसी हैं जिन्होंने साल में 1 हजार से ज्यादा ऐसे मामलों में अपनी सर्विस दी है और उनके जासूसों ने पता लगाया है कि कर्मचारी झूठ बोलकर छुट्टी पर गए हैं.

जीडीपी में गिरावट

जर्मनी की स्टेटिस्टिक्स एजेंसी डेस्टेटिस के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में औसतन हर कर्मचारी ने 11.1 दिन की बीमारी की छुट्टी ली थी, जो 2023 में बढ़कर 15.1 दिन हो गई. 2023 में इन छुट्टियों की वजह से देश की जीडीपी में 0.8% की गिरावट आई, जिससे आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं इससे कंपनियों के प्रदर्शन पर भी बुरा असर पड़ा है.

बीमारी का बहाना बनाकर पब में स्टेज परफॉर्मेंस दे रहे

इन प्राइवेट डिटेक्टिव्स की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, लंबी छुट्टी पर गए एक ड्राइवर के बारे में जब खोजबीन हुई तो पता चला कि वह छुट्टियों में पब में स्टेज परफॉर्मेंस दे रहा था. यह मामला इटली का था और कोर्ट तक पहुंचा. तब इटली की सुप्रीम कोर्ट ने इसे उसके स्वास्थ्य के लिए अच्छा बताया और उसे नौकरी पर वापस रखा गया.

जर्मनी को क्यों हो रही ज्यादा समस्या?

दरअसल, जर्मनी में बीमारी के कारण छुट्टी पर गए कर्मचारियों को 6 हफ्तों तक पूरा वेतन मिलता है. इसके बाद बीमा कंपनियां उनका खर्च उठाती हैं. लेकिन इससे कंपनियों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है.

वहीं कुछ लोगों का कहना है कि कंपनियां जासूसों पर खर्च करने की बजाय डायबिटीज-ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों को रोकने के लिए काम करें तो ज्यादा बेहतर होगा. साथ ही अपने कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने और वर्कप्लेस पर स्ट्रेस कम करने पर ध्यान दें.

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