मथुरा की डीपीआरओ (जिला पंचायत राज अधिकारी) किरण चौधरी को मंगलवार को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इसके लिए उसे रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ने के लिए तीन अलग-अलग सतर्कता टीमों को तैनात किया गया था।
किरण चौधरी को 70,000 रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और बाद में अदालत ने उन्हें 14 दिन के लिए जेल भेज दिया था। मामले की शुरुआत वर्ष 2022-2023 में हुई, जब फरह विकास खंड की जुड़वई ग्राम पंचायत में अस्थायी गोशाला के लिए टिन शेड का निर्माण कराया गया। यह कार्य मेसर्स हरे कृष्णा कंस्ट्रक्शन को दिया गया और कंपनी को लगभग 24 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
बाद में निर्माण कार्य में कुछ खामियां पाई गईं, जिसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने ग्राम प्रधान प्रताप सिंह राणा को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। ग्राम प्रधान ने आरोप लगाया कि डीपीआरओ किरण चौधरी ने उनके पक्ष में रिपोर्ट लगाने के एवज में 70 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी उन्हें धमकाया गया था और उनसे पैसे छीन लिये गये थे।
बुधवार सुबह विजिलेंस टीम ने किरण चौधरी और उनके ड्राइवर बिजेंद्र सिंह को 70 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया। इसके बाद उन्हें मेरठ भ्रष्टाचार निरोधक कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
दर्जनों रिश्वतखोर पकड़े गए
यह घटना मथुरा जिले में सरकारी व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण है। पिछले एक साल में भ्रष्टाचार निरोधक विभाग ने कई विभागों में कार्रवाई कर दर्जनों रिश्वतखोरों को पकड़ा है। इसमें राजस्व विभाग, पुलिस और बिजली विभाग के लोग शामिल हैं।
हाल ही में मवाना में भी एक क्लर्क, एक एसडीएम और एक सब-इंस्पेक्टर रिश्वत लेते पकड़े गए थे। सरकारी व्यवस्था में भ्रष्टाचार के ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इसमें सुधार की संभावना कम ही नजर आती है। विपक्ष भी कई बार इस मुद्दे को उठाता है, लेकिन फिलहाल इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।