25 फरवरी को बिक जाएगी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल, NCLT ने दिया निर्देश
et February 11, 2025 09:42 PM
नई दिल्ली: अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है. दरअल, इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) रिलायंस कैपिटल को खरीदने की पूरी तैयारी कर चुका है. कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल 25 फरवरी को बिक जाएगी, जिसके लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रीब्यूनल (NCLT) से निर्देश दिया है. सभी फाइनेंशियल क्लोजर हुए पूरे हालिया सुनवाई के दौरान इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) ने इस बात की पुष्टि की है कि उसने सभी जरूरी दस्तावेज और रिलायंस कैपिटल अधिग्रहण योजना की कार्यवाई के लिए सभी जरूरी फाइनेंशियल क्लोजर पूरे कर लिए हैं. 26 फरवरी को होनी है अगले सुनवाई नेशनल कंपनी लॉ ट्रीब्यूनल (NCLT) ने निर्देशित तारीख तक फाइनेंशियल क्लोजर प्राप्त करने के लिए IIHL की याचिका को स्वीकार कर लिया है. सामाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्वीकृत समाधान योजना के कार्यान्वयन को अंतिम रूप देने और रिलायंस कैपिटल और उसकी सब्सिडरियों का कंट्रोल आईआईएचएल को ट्रांसफर करने की सुविधा के लिए अगली सुनवाई 26 फरवरी, 2025 को होगी. रिटर्न फंड को लेकर लेंडरों ने जताई थी चिंता बता दें कि मुख्य मुद्दा फंड फ्लो मैकेनिज्म को लेनदारों की समिति के 89% की ओर अप्रूव किया गया था, जिसे कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा है. दरअसल, बार्कलेज और 360 वन जैसे कुछ लेंडर ने इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि अगर डील फेल हो जाती है तो फंड की वापसी का क्या सिस्टम होगा. अधिग्रहण नहीं पूरा होने पर 27 फरवरी को होगी अगले सुनवाई अगर अधिग्रहण की कार्यवाही 25 फरवरी तक नहीं पूरी होती है तो, ट्रीब्यूनल ने अगले सुनवाई 27 फरवरी को निर्धारित की है. बता दें कि फरवरी 2024 में NCLT ने IIHL के रियालंस कैपिटल का अधिग्रहण करने के 9,861 करोड़ रुपये के प्लान को मंजूरी दी थी, जो डेट और इक्विटी के जरिए पूरा होना था. इससे पहले हिंदुजा ग्रुप ने CoC को यह जानकारी दी थी कि वह 31 जनवरी 2025 तक लेनदेन पूरा करना चाहता है. लेंडरों ने अनवाइंडिंग क्लॉज पर दिया था जोर ईटी ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फंडिंग की दूसरी किस्त के रूप में 4,300 करोड़ रुपये देने वाले बार्कलेज और 360 वन ने शुरू में एक "अनवाइंडिंग क्लॉज" पर जोर दिया था. जिसके जरिए यह अनुमति रहेगी कि किसी भी प्रकार की समस्या सामने आने पर पूरे ट्रांजैक्शन को उलट दिया जाए. हालांकि, प्रशासक के वकील ने तर्क दिया कि यह क्लाज पिछले एनसीएलएटी के फैसलों का खंडन करता है.
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