महाशिवरात्रि पर आप प्रयागराज स्थित एक प्राचीन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं. यहां आप भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना कर सकते हैं. यह शिवालय यमुना नदी के बीच में स्थित है. इस मंदिर में भगवान शिव के साथ ही माता यमुना की भी पूजा होती है. इस मंदिर का नाम है सुजावन देव मंदिर और यह प्रयागराज में स्थित है. आइये इस मंदिर के बारे में जानते हैं.
सुजावन देव मंदिर में महाशिवरात्रि पर अलग ही छटा देखने को मिलती है. मान्यता है कि यहां दर्शन और पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं. ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेजी हुकूमत से पहले ज्यादा लोगों को इस मंदिर की जानकारी नहीं थी. यह मंदिर प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन से 25 किलोमीटर की दूरी पर और त्रिवेणी संगम से 27 किलोमीटर की दूरी पर है. यह मंदिर जमीन से करीब 150 फीट की ऊंचाई पर बना है. पहले मंदिर यमुना नदी के बीच में था लेकिन खनन और जल स्तर कम होने के कारण धीरे-धीरे मंदिर अब तट पर आ गया है. बाढ़ के दिनों में नाव के जरिए मंदिर तक पहुंचा जाता है.
शाहजहां के समय सन् 1645 में इलाहाबाद के सूबेदार शाइस्ता खां था. उसने इस मंदिर को तुड़वा दिया था और वहां जुआ खेलने की बैठक बनवा दी थी. हिंदुओं ने इसका विरोध किया और बैठक पर हमला करके मंदिर को फिर से बनवाया और यहां भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित की गई. पौराणिक मान्यता है कि इस जगह पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए आए थे. उन्होंने खुश होकर बहन यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा था. कहा जाता है कि तब यमुना ने वर मांगा था कि भैया दूज के दिन यहां स्नान करने वालों को मृत्यु का भय न रहे और उन्हें देवलोक में स्थान मिले. हर साल दीपावली के बाद भैया दूज पर इस मंदिर में विशाल मेला लगता है. ऐसा भी कहा जाता है कि यहीं पर यम द्वितीया पर यमराज ने अपनी बहन यमुना का हाथ पकड़कर डुबकी लगाई थी.