कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे छात्रों को बड़ी राहत मिली है। अब उन्हें छात्रावास में रहने के लिए सुरक्षा और सावधानियों के लिए भुगतान नहीं करना पड़ेगा। पहले, यह राशि कमरा खाली होने के बाद समायोजित या वापस कर दी जाती थी। कोटा हॉस्टल एसोसिएशन ने इस संबंध में बड़ा निर्णय लिया है, जिससे विद्यार्थियों को किफायती दरों पर हॉस्टल उपलब्ध हो सकेंगे।
जिला कलेक्टर की पहल पर बड़ा फैसला: जिला कलेक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी की पहल पर कोटा के सभी छात्रावास संगठनों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है। इसके साथ ही हॉस्टल और कोचिंग के लिए भी नई गाइडलाइन जारी की गई है। नए दिशा-निर्देशों के तहत विद्यार्थियों को चंबल रिवर फ्रंट और ऑक्सीजन जोन पार्क का निःशुल्क भ्रमण कराया जाएगा।
छात्रावास में रखरखाव शुल्क अधिकतम रु. 500/- है। 2,000 तक होगा। सभी छात्रावास कर्मचारियों के लिए गेटकीपर प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया गया है तथा पीजी में निशुल्क फांसी रोधी उपकरण वितरित किए जाएंगे।
कोटा में 4 हजार हॉस्टल, 80 हजार पीजी रूम कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल के अनुसार शहर के मुख्य इलाकों तलवंडी, राजीव गांधी क्षेत्र, इंद्र विहार, कोरल पार्क, लैंडमार्क, महावीर नगर, पारिजात कॉलोनी जैसे इलाकों में करीब 4 हजार हॉस्टल हैं, जिनमें 1.5 लाख सिंगल रूम उपलब्ध हैं। वहीं, पीजी में 80 हजार सिंगल रूम हैं, जो मकान मालिकों के लिए बड़ा आर्थिक बोझ बन गया है।
छात्रों की संख्या में कमी से नुकसान: पिछले कुछ वर्षों में कोटा में आने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है। सत्र 2024-25 में यह संख्या 2 लाख से घटकर लगभग 1.25 लाख रह गई है, जिससे छात्रावास उद्योग को अपने राजस्व में 50% तक की हानि होगी। कोरोना के बाद 2022-23 में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी, जिससे कोटा की अर्थव्यवस्था 700 करोड़ रुपए से अधिक हो गई, लेकिन 2023 के बाद इसमें गिरावट आने लगी। अब तो हॉस्टल का किराया देना भी मुश्किल हो रहा है। हॉस्टल एसोसिएशन का मानना है कि नए नियमों से स्थिति में सुधार आएगा।
नये नियमों से गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है। नए दिशा-निर्देश लागू होने से पहले कई छात्रावास मनमाना किराया और रखरखाव शुल्क वसूलते थे, लेकिन अब वे ऐसा नहीं कर सकेंगे। इससे छात्रावास प्रबंधकों को गुणवत्ता बनाए रखनी होगी, क्योंकि विद्यार्थियों को कमरा बदलने की सुविधा मिलेगी। ये नियम एक वर्ष के लिए लागू किये गये हैं और यदि सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए तो इन्हें आगे भी जारी रखा जाएगा।