उत्तराखंड: चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद अब तक 33 मजदूर बचाए गए, 22 की तलाश जारी, अस्पताल में भर्ती 4 की हालत नाजुक
Navjivan Hindi March 01, 2025 06:42 PM

उत्तराखंड के उंचाई वाले क्षेत्रों में हो रही भारी बर्फबारी के बीच चमोली जिले के बदरीनाथ में सीमांत माणा गांव के पास शुक्रवार तड़के हिमस्खलन होने से वहां फंसे सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के 55 मजदूरों में से 33 को सुरक्षित निकाल लिया गया जबकि 22 अन्य की तलाश जारी है।

प्रदेश के आपदा प्रबंधन और पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने यहां बताया कि बदरीनाथ धाम से छह किलोमीटर आगे हुई हिमस्खलन की घटना में पहले 57 मजदूरों के फंसे होने की सूचना मिली थी, लेकिन अब स्थानीय प्रशासन ने बताया है कि दो मजदूरों के छुट्टी पर होने के कारण मौके पर 55 मजदूर थे।

उन्होंने बताया कि शाम पांच बजे तक 32 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था जबकि देर रात एक और श्रमिक को बाहर निकाल लिया गया है। सुमन ने कहा, ‘‘इस प्रकार अब तक कुल 33 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है जबकि 22 अन्य की खोजबीन जारी है।’’

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी सूची के अनुसार फंसे हुए मज़दूर बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों से हैं। सूची में 10 मजदूरों के भी नाम हैं, लेकिन उनके राज्यों का नाम नहीं बताया गया है।

सुमन ने माना कि बचाव काम चुनौतीपूर्ण है क्योंकि हिमस्खलन स्थल के पास सात फुट तक बर्फ जमी हुई है। हालांकि, उन्होंने बताया कि बचाव अभियान में 65 से अधिक कर्मचारी लगे हुए हैं।

इस बीच, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देर रात एक बार फिर राज्य आपदा परिचालन केंद्र पहुंचकर बचाव कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने बचाव कार्यों में वायुसेना के हेलीकॉप्टर के साथ ही राज्य सरकार की एजेंसी ‘युकाडा’ और निजी कंपनियों के हेलीकॉप्टर को भी शनिवार सुबह से बचाव कार्यों में शामिल करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘प्रत्येक श्रमिक की सुरक्षित वापसी के लिए जो भी संभव होगा, हम वह करेंगे।’’ धामी हिमस्खलन बचाव कार्यों का जायजा लेने के लिए शनिवार को मौके पर भी जा सकते हैं।

भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर शनिवार सुबह खोज एवं बचाव अभियान में शामिल होने के लिए माना के लिए रवाना होंगे। धामी ने देर शाम एसईओसी में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें जोशीमठ में भी आपदा नियंत्रण कक्ष स्थापित करने को कहा।

उन्होंने कहा कि माना हेलीपैड को प्राथमिकता के आधार पर खोला जाए ताकि घायलों को एमआई-17 हेलीकॉप्टरों से पहुंचाया जा सके। साथ ही सेना अस्पताल, जिला अस्पताल और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश सहित सभी अस्पतालों में समुचित व्यवस्था की जाए। धामी ने कहा कि जरूरत पड़ने पर घायलों को एयर एंबुलेंस से एम्स, ऋषिकेश लाया जाए।

सेना ने बताया कि हिमस्खलन सुबह साढ़े 5 बजे से 6 बजे के बीच हुआ, जिससे 8 ‘कंटेनरों’ और एक शेड के अंदर मौजूद श्रमिक दब गए। इसकी त्वरित प्रतिक्रिया टीम को बचाव कार्य के लिए तुरंत तैनात किया गया जिसमें ‘आइबेक्स ब्रिगेड’ के 100 से अधिक कर्मी शामिल है, जिन्हें विशेष रूप से अधिक ऊंचाई वाले बचाव कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। टीम में चिकित्सक और एम्बुलेंस शामिल है।

सुमन के अनुसार, स्थिति गंभीर है क्योंकि ‘कंटेनर’ छह से सात फुट बर्फ के नीचे दबे हुए हैं। ये मजदूर सेना के आवागमन के लिए नियमित रूप से बर्फ हटाने का काम करते हैं।

घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस, सेना, सीमा सड़क संगठन, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राज्य आपदा प्रतिवादन बल और आपदा प्रबंधन विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे तथा खराब मौसम, लगातार बर्फबारी और भीषण ठंड के बीच बचाव और राहत कार्य शुरू किया।

चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि 10 मजदूर पहले ही सेना और आईटीबीपी की टीम को मिल गए थे और वे फिलहाल आईटीबीपी के अस्पताल में हैं। सेना के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि पहले मिले 10 लोगों में से चार की हालत नाजुक है।

बदरीनाथ से करीब तीन किलोमीटर दूर माणा भारत तिब्बत सीमा पर बसा आखिरी गांव है जो 3200 मीटर की उंचाई पर स्थित है। माणा से आ रही तस्वीरों में बचावकर्मी सफेद परिदृश्य में बर्फ के ऊंचे ढेरों के बीच से गुजरते हुए दिखाई दे रहे हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि फंसे लोगों को बचाना सरकार की प्राथमिकता है । 'एक्स' पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि उन्होंने घटना के संबंध में मुख्यमंत्री धामी, आईटीबीपी और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के महानिदेशकों से बात की है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिह ने कहा कि सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए फंसे लोगों को निकालने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।

एनडीआरएफ ने बताया कि उसने चमोली के लिए अपनी चार टीम भेज दी हैं । एनडीआरएफ के महानिदेशक पीयूष आनंद ने बताया कि इनके अलावा चार अन्य इकाइयों को तैयार रहने को कहा गया है।

चमोली के आपदा प्रबंधन अधिकारी एन के जोशी ने कहा कि माणा में मौजूद सेना और आईटीबीपी की टीम सुबह से बचाव कार्य में लगी हैं लेकिन बाहर से भेजी गयी टीम खराब मौसम के कारण रास्ते में ही फंसी हुई हैं।

माणा के ग्रामीणों का कहना है कि जिस सथान पर हादसा हुआ है उसे हिमस्खलन की दृष्टि से ठंड में खतरनाक माना जाता रहा है इसलिए पूर्व में इस कैंप से लोगों को हटाकर बदरीनाथ में रखा जाता था। माणा के गांव प्रधान पिताम्बर सिंह ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि इस बार बर्फ नहीं गिरने से कैंप बंद नहीं किया गया था और इस कारण मजदूर हादसे की चपेट में आ गए।

बद्रीनाथधाम, नर और नारायण पर्वत की तलहटी पर बसा है जिसके बीचोंबीच अलकनंदा नदी प्रवाहित होती है। हादसा नर पर्वत पर हुए हिमस्खलन के कारण हुआ। चंडीगढ़ स्थित रक्षा भूसूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई) ने बृहस्पतिवार शाम पांच बजे चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों में 2,400 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित स्थानों पर 24 घंटे की अवधि के लिए हिमस्खलन की चेतावनी जारी की थी।

देहरादून स्थित मौसम विभाग ने भी शुक्रवार सुबह इन जिलों में 3,500 मीटर और उससे अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर भारी बारिश और बर्फबारी का अनुमान जताया। इसके बाद राज्य आपदा परिचालन केंद्र ने संबंधित जिलाधिकारियों को इसके बारे में अलर्ट कर दिया था ।

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