प्रधानमंत्री सुदानी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि अबू खदीजा इराक और दुनिया के सबसे खूंखार आतंकियों में से एक था। उसकी मौत आतंक के खिलाफ हमारी लड़ाई में बड़ी जीत है। इराकी सरकार ने साफ कर दिया है कि वह देश में बचे हुए ISIS आतंकियों के खिलाफ अभियान जारी रखेगी। सुदानी ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता राष्ट्रीय सुरक्षा है और आतंकवाद को जड़ से खत्म करना हमारा मिशन है।
बताया जा रहा है कि यह ऑपरेशन इराक और सीरिया की सीमा पर चलाया गया, जहां ISIS फिर से अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रहा था।
ISIS की नई साजिश और भारत से कनेक्शन: अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की पहली छमाही में ISIS ने इराक और सीरिया में 153 हमले किए, जो पिछले साल की तुलना में दोगुने हैं। यह आंकड़ा बताता है कि संगठन फिर से संगठित होकर दुनिया भर में अपने नेटवर्क को मजबूत करने की कोशिश में है।
भारत के संदर्भ में यह खबर इसलिए अहम है क्योंकि ISIS ने पिछले कुछ सालों में दक्षिण एशिया, खासकर भारत में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश की है। 2023 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि ISIS के कुछ मॉड्यूल भारत में भर्ती और प्रचार के लिए सक्रिय हैं। हाल ही में केरल और कश्मीर में कुछ संदिग्धों की गिरफ्तारी ने भी इस खतरे की पुष्टि की थी। विशेषज्ञों का मानना है कि अबू खदीजा जैसे बड़े सरगनाओं का खात्मा भारत में आतंक के खिलाफ चल रही लड़ाई को भी मजबूती दे सकता है।
ISIS ने 2014 में अपने सरगना अबू बक्र अल-बगदादी के नेतृत्व में इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था और खिलाफत की घोषणा की थी। हालांकि, 2019 में बगदादी अमेरिकी सेना के ऑपरेशन में मारा गया, जिसके बाद संगठन कमजोर पड़ गया। लेकिन अबू खदीजा जैसे नए नेताओं के उभरने से यह साफ है कि ISIS अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ अजय साहनी ने कहा, 'ISIS का खतरा वैश्विक है। भारत को इराक जैसे देशों से सीख लेते हुए अपनी खुफिया और सैन्य तैयारियों को और मजबूत करना चाहिए।
अबू खदीजा की मौत निश्चित रूप से ISIS के लिए बड़ा झटका है, लेकिन भारत सहित दुनिया भर के देशों को सतर्क रहने की जरूरत है। यह ऑपरेशन एक बार फिर साबित करता है कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग ही इस बुराई को खत्म करने का रास्ता है।