अमेरिका से स्वनिर्वासित भारतीय छात्रा ने कहा, माहौल बहुत अस्थिर और खतरनाक
Webdunia Hindi March 18, 2025 12:42 AM

US News: कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन (Ranjani Srinivasan) ने उस भयावह पल के बारे में बताया, जब संघीय आव्रजन अधिकारियों ने पहली बार विश्वविद्यालय में उसके अपार्टमेंट पर दस्तक दी थी। रंजनी ने हमास के समर्थन के आरोप में उसका छात्र वीजा रद्द किए जाने के बाद खुद अमेरिका छोड़ भारत लौटने का फैसला किया था। ALSO READ:

'न्यूयॉर्क टाइम्स' की खबर के मुताबिक 3 आव्रजन अधिकारी रंजनी (37) की तलाश में जुटे थे। उन्होंने जब पहली बार छात्रा के अपार्टमेंट का दरवाजा खटखटाया था, तो उसने दरवाजा नहीं खोला था। खबर के अनुसार अगली रात जब आव्रजन अधिकारी फिर से उसके अपार्टमेंट पहुंचे, तो वह वहां पर नहीं थी। खबर में बताया गया है कि रंजनी ने अपना कुछ सामान बांधा, अपनी बिल्ली को एक दोस्त के पास छोड़ा और लागार्डिया हवाई अड्डे से कनाडा जाने वाली उड़ान में सवार हो गई।

माहौल बहुत अस्थिर और खतरनाक : इसमें कहा गया है कि न्यायिक वारंट हासिल करने के बाद आव्रजन अधिकारी पिछले गुरुवार को तीसरी बार रंजनी के अपार्टमेंट पहुंचे और उसके कमरे में दाखिल हुए, लेकिन तब तक वह देश छोड़कर जा चुकी थी। रंजनी ने शुक्रवार को प्रकाशित एक साक्षात्कार में 'न्यूयॉर्क टाइम्स' को बताया कि माहौल बहुत अस्थिर और खतरनाक लग रहा था। इसलिए मैंने तत्काल यह फैसला लिया। न्यूयॉर्क छोड़ने के बाद यह रंजनी की पहली सार्वजनिक टिप्पणी थी।

रंजनी ने एफ-1 छात्र वीजा पर शहरी नियोजन में डॉक्टरेट की छात्रा के रूप में कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था। अमेरिकी विदेश विभाग ने पांच मार्च को उसका वीजा रद्द कर दिया था। होमलैंड सुरक्षा विभाग ने कहा था कि उसे रंजनी का 11 मार्च का एक वीडियो मिला है, जिसमें वह स्व-निर्वासन के लिए सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (सीबीपी) के स्मार्टफोन ऐप का इस्तेमाल करती नजर आ रही है।ALSO READ:

विभाग ने कहा था कि रंजनी का वीजा कथित तौर पर हिन्सा और आतंकवाद की वकालत करने तथा हमास समर्थित गतिविधियों में शामिल होने के कारण रद्द किया गया है। 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की खबर में कहा गया है कि रंजनी उन चुनिंदा अप्रवासियों में शामिल है, जिन्हें हाल के दिनों में कोलंबिया में आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन एजेंसी की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।(भाषा)

Edited by: Ravindra Gupta

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