सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए बुधवार को 16 अप्रैल की तारीख तय की। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख तय की। इससे पहले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायालय में कहा कि मामला 38वें क्रमांक पर सूचीबद्ध है और आज इस पर सुनवाई होने की संभावना नहीं है।
वकील प्रशांत भूषण ने मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र की जड़ से जुड़ा है और यह मुद्दा 2023 के संविधान पीठ के फैसले के अंतर्गत आता है। न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि अदालत इन सभी दलीलों को समझती है, लेकिन हर दिन कई जरूरी मामले सूचीबद्ध होते हैं। पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे 16 अप्रैल के लिए रखते हैं, ताकि मामले की अंतिम सुनवाई हो सके।’’
याचिकाकर्ता एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से पेश भूषण ने कहा कि इस मामले में एक छोटा कानूनी प्रश्न यह है कि क्या प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश की भागीदारी वाले पैनल के माध्यम से मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी 2023 के संविधान पीठ के फैसले का पालन किया जाना चाहिए या 2023 के कानून का पालन किया जाना चाहिए, जिसमें प्रधान न्यायाधीश को पैनल से बाहर रखा गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को कहा था कि वह मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर ‘‘प्राथमिकता के आधार’’ पर सुनवाई करेगा। भूषण ने कहा कि सरकार 2023 के कानून के तहत नए मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करके ‘‘लोकतंत्र का मजाक उड़ा रही हैं।’’
सरकार ने 17 फरवरी को चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था। कुमार नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले मुख्य चुनाव आयुक्त हैं और उनका कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक रहेगा, जिसके कुछ दिन बाद निर्वाचन आयोग अगले लोकसभा चुनाव की तिथि घोषित करेगा।
हरियाणा कैडर के 1989 बैच के आईएएस अधिकारी विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया। जोशी (58) 2031 तक चुनाव आयोग में सेवाएं देंगे। भूषण ने 2023 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इसमें कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक स्वतंत्र पैनल करेगा जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश शामिल हों।
शीर्ष अदालत ने 15 मार्च 2024 को 2023 के कानून के तहत नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसमें प्रधान न्यायाधीश को चयन पैनल से बाहर रखा गया था और नियुक्तियों के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी थी।