दुनिया में मंदी लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत, जानिए किसने किया यह दावा...
Webdunia Hindi March 27, 2025 02:42 AM

Indian Economy News : नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था के लगातार मजबूत होने का दावा करते हुए भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि देश के बैंकों ने बेहतर आर्थिक नीतियों के चलते 3 लाख करोड़ रुपए का मुनाफा ऐसे समय पर कमाया है जब दुनियाभर की अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही है। उच्च सदन में बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के संजय सेठ ने कहा हम कोरोना काल में भी मजबूती से खड़े रहे। तब कर्ज की व्यवस्था को भी आसान किया गया। यही वजह है कि आज तक हम सुदृढ़ बने हुए हैं।

उन्होंने कहा कि इस संशोधन विधेयक के माध्यम से बैंकों के सात कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव है और ये प्रस्ताव ऐसे हैं जो भारत को अगले पांच साल में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरने में मदद करेंगे। सेठ ने कहा कि ये संशोधन इसलिए लाए गए हैं ताकि बैंकों को मजबूत किया जा सके और इन संशोधनों से बैंकों के कामकाज में पारदर्शिता भी आएगी।

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उन्होंने कहा कि बैंकों में बिना दावा वाली राशि वर्ष 2023 में 42,272 करोड़ रुपए थी। उन्होंने कहा कि इसकी वजह खाताधारकों के पास एक ही नॉमिनी की व्यवस्था होना है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन के बाद खाताधारक के पास चार नॉमिनी की व्यवस्था होगी और बिना दावा वाली राशि का निपटान हो सकेगा।

सेठ ने कहा कि 2014 से पहले बैंकों से कर्ज राजनीतिक दबाव के चलते दिए जाते थे और इसका उदाहरण विजय माल्या, मेहुल चोकसी तथा कई लोग हैं जिन्होंने बैंकों से लिया कर्ज हड़प लिया। इससे बैंकों की व्यवस्था चरमरा गई। उन्होंने कहा आरबीआई के एक पूर्व गवर्नर ने भी माना है कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की नीतियों से ही एनपीए यानी गैर निष्पादित आस्तियों में वृद्धि हुई है। राजग सरकार ने पूरी सतर्कता बरती जिसके चलते बैंक मजबूत हुए हैं और एनपीए घटा है। सबसे बड़ी बात यह है कि लोगों का बैंकों पर भरोसा बढ़ा है।

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सेठ ने कहा कि बैंकों से कर्ज लेकर भागने वालों की संपत्ति जब्त कर नुकसान की भरपाई करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि बेहतर आर्थिक नीतियों की वजह से तीन लाख करोड़ रुपए का मुनाफा बैंकों ने ऐसे समय कमाया है जब दुनियाभर की अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही है। हम कोरोना काल में भी मजबूती से खड़े रहे। तब कर्ज की व्यवस्था को भी आसान किया गया। यही वजह है कि आज तक हम सुदृढ़ बने हुए हैं।

उन्होंने कहा कि 2014 से 2024 के बीच बैंकों की शाखाएं 1,17,900 से बढ़कर 1,65,000 हो गई हैं। ग्रामीण शाखाओं की संख्या 41,855 से बढ़कर 55,372 हो गई है। सेठ ने कहा कि प्रधानमंत्री का संयुक्त अरब अमीरात में रुपे कार्ड चलवाना भी बड़ी उपलब्धि है।

कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि इस संशोधन विधेयक को सरकार इसलिए लाई है ताकि वह अपने करीबियों की मदद कर सके। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। उन्होंने दावा किया कि ‘लिक्विडेशन’ के कारण कई बैंक बंद हो गए, कई का एकीकरण और पुनर्गठन किया गया और बैंकों की कई शाखाएं बंद कर दी गईं।

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तिवारी ने कहा कि बंद हुई शाखाओं में से 75 फीसदी तो भारतीय स्टेट बैंक की हैं। उन्होंने कहा, बैंक तो आम लोगों की सुविधा के लिए होते हैं। फिर यह क्या हो रहा है? कर्ज माफी का जिक्र करते हुए तिवारी ने कहा कि सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने के बजाय उद्योगपतियों का 16 लाख करोड़ रुपए का कर्ज बट्टे खाते में डालने के नाम पर माफ किया है। लेकिन कांग्रेस की सरकार के दौरान किसानों का 70 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया था।

उन्होंने तंज किया कि किसी को भी नहीं बख्शने वाली वर्तमान सरकार ने तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले का भी 200 करोड़ रुपए का जुर्माना माफ कर दिया। तिवारी ने कहा विडंबना यह है कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं और इनमें से 80 फीसदी वे थे जो कर्ज नहीं चुका पाए।

आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कहा कि बैंक डिमांड ड्राफ्ट का, एसएमएस का, ऑनलाइन भुगतान का, कर्ज लेने पर उसके प्रोसेसिंग का, कर्ज का पहले भुगतान करने पर, एटीएम कार्ड लेने पर और कई तरह से शुल्क लेता है। उन्होंने कहा कि बैंकों से जुड़ी और भी कई बुनियादी समस्याएं हैं जिनका सामना आम आदमी जानकारी के अभाव में करता है और उसकी जेब कटती है।

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बीजू जनता दल के निरंजन बिशी ने कहा कि ग्राहकों की सुविधा पर पहले ध्यान देना चाहिए क्योंकि बैंक के नियमों की जानकारी के अभाव में लोगों को बहुत परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया है।

उन्होंने निजी बैंकों द्वारा कर्ज के एवज में अधिक ब्याज लिए जाने का मुद्दा भी उठाया। बिशी ने कहा कि साइबर अपराध एक बड़ा खतरा बन कर उभरा है जिसकी बड़ी वजह ऑनलाइन लेन-देन है। उन्होंने मांग की कि हर ग्राम पंचायत में बैंक की एक एक शाखा होनी चाहिए।

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मेदा रघुनाथा रेड्डी ने कहा कि गरीबों को कर्ज लेने के लिए इतने दस्तावेज पेश करने होते हैं कि वह परेशान होकर निजी कर्जदाताओं का रुख कर लेते हैं। अन्नाद्रमुक सदस्य एम थंबीदुरै ने कहा कि सरकारी बैंकों के कामकाज से असंतुष्ट होकर ग्राहक निजी क्षेत्र के बैंकों का रुख करते हैं और परेशान होते हैं। उन्होंने मांग की कि सरकारी बैंकों के कामकाज में सुधार लाना चाहिए।

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शिवसेना के मिलिंद देवरा ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार के प्रयासों के कारण आज गैर निष्पादित आस्तियां कम हुई हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों में खाता खोलने पर एक नॉमिनी की जगह प्रस्तावित विधेयक में चार नॉमिनी का प्रावधान है जो सराहनीय कदम है। देवरा ने कहा कि बैंकों के लिए नवाचार बेहद जरूरी है अन्यथा नई प्रौद्योगिकियां उनके लिए परेशानी खड़ी कर देंगी।

आईयूएमएल के हारिस बीरन ने कहा कि इस विधेयक में साइबर जालसाजी के खतरे को देखते हुए बैंकों में आंकड़े सुरक्षित रखने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। चर्चा में भाकपा के पीपी सुनीर, भाजपा की कविता पाटीदार, अरुण सिंह, सिकंदर कुमार, महेन्द्र भट्ट, राकांपा (एसपी) की फौजिया खान, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वी शिवदासन, शिवसेना (उबाठा) की प्रियंका चौहान, बसपा के रामजी, तेदेपा के मस्तान राव यादव बीड़ा, बीआरएस के रविचंद्र वद्दीराजू और जद (यू) के संजय कुमार झा ने भी हिस्सा लिया। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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