कोलकाता, 15 अप्रैल . पश्चिम बंगाल में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में जारी हिंसा और बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर भाजपा नेता दिलीप घोष ने कड़ी टिप्पणी की. मंगलवार को से बातचीत के दौरान घोष ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर तीखा जुबानी हमला बोला. उन्होंने पश्चिम बंगाल की वर्तमान स्थिति का हवाला देते हुए दावा किया कि राज्य को अराजकता की ओर धकेला जा रहा है.
बंगाल नववर्ष को लेकर दिलीप घोष ने कहा कि इस दिन बंगाल में रविंद्र संगीत गूंजता था, नजरुल गीति सुनाई देती थी. लेकिन, आज हमें बमों और गोलियों की आवाजें सुननी पड़ रही हैं. लोगों की चीखें आ रही हैं. ममता बनर्जी ऐसा पश्चिम बंगाल बनाना चाहती हैं, जहां आने वाले समय में शायद ही कोई नववर्ष मनाने वाला बचे.
वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों और हिंसा को लेकर ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए घोष ने कहा कि हमारे संविधान, हमारी अदालत और हमारी संसद को खुलेआम चुनौती दी जा रही है और ममता बनर्जी खुद उसका नेतृत्व कर रही हैं.
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ईद की नमाज में जाकर लोगों को भड़काती हैं. कहती हैं कि जो चाहे करो, सरकार तुम्हारे साथ है. आज वही हो रहा है. पुलिस कहीं नजर नहीं आ रही है, बीएसएफ को आकर हालात संभालने पड़ रहे हैं.
दिलीप घोष ने दक्षिण 24 परगना के भांगड़ में सोमवार को हुई आगजनी और हिंसा के लिए आईएसएफ नेता नौशाद सिद्दीकी के टीएमसी को जिम्मेदार ठहराने पर कहा कि हाथ किसी का भी हो, सरकार क्या कर रही है? खुद आग लगा रहे हैं और एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. भांगड़ के आम लोगों का जीना हराम कर दिया गया है और सरकार सिर्फ मूकदर्शक बनी बैठी है.
दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और 24 परगना में हुई हिंसा पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक ने भी राज्य सरकार के रवैए पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से आए तमाम इस्लामी जिहादी घुसपैठ कर चुके हैं. सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इन्हें राज्य सरकार का पूरा संरक्षण मिल रहा है. पश्चिम बंगाल देश का हिस्सा है और इसके बावजूद वहां से लोगों का पलायन हो रहा है, जो बेहद चिंता का विषय है.
उन्होंने आगे कहा कि 1988-89 में कश्मीर में जो हालात बने और जिसके चलते कश्मीरी पंडितों को भागना पड़ा, वैसी ही तस्वीर आज बंगाल में सामने आ रही है. आज बंगाल में भी लोगों को डराकर भगाया जा रहा है. केंद्र सरकार को जल्द सख्त कदम उठाने होंगे.
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पीएसके/एबीएम
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