14 साल पुराने मामले में ED की बड़ी कार्रवाई, जगन रेड्डी और डालमिया की 800 करोड़ की संपत्ति जब्त
Newshimachali Hindi April 19, 2025 01:42 PM


हैदराबाद में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की 27.5 करोड़ की शेयर और संपत्ति को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है।

इसके साथ ही डालमिया सीमेंट्स भारत लिमिटेड (DCBL) की 377.2 करोड़ रुपये की जमीन भी जब्त की गई है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ी है। यह मामला 'क्विड प्रो क्वो' निवेश से संबंधित है, जिसमें 2011 में सीबीआई (CBI) ने एफआईआर दर्ज की थी। डीसीबीएल का कहना है कि जब्त की गई संपत्ति की कीमत 793.3 करोड़ रुपये है।

14 साल बाद की गई कार्रवाई

यह कार्रवाई मामला दर्ज होने के 14 साल बाद की गई है। ईडी ने यह कार्रवाई केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा 2011 में दर्ज किए गए एक पुराने मामले के आधार पर की है। उस मामले में डीसीबीएल ने भारती सीमेंट कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड में निवेश किया था। जगन मोहन रेड्डी के कार्मेल एशिया होल्डिंग्स लिमिटेड, सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और हर्षा फर्म में शेयर जब्त किए गए हैं। डीसीबीएल को यह जब्ती आदेश 15 अप्रैल, 2025 को मिला, जबकि यह आदेश 31 मार्च को ही जारी कर दिया गया था। जमीन की शुरुआती खरीद कीमत 377 करोड़ रुपये थी।

रेड्डी पर DCBL को खनन पट्टा दिलाने में मदद करने का आरोप

सीबीआई और ईडी की जांच में पता चला है कि डीसीबीएल ने वाईएस जगन मोहन रेड्डी की कंपनी रघुराम सीमेंट्स लिमिटेड में 95 करोड़ रुपये का निवेश किया था। आरोप है कि जगन ने अपने पिता और तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी पर प्रभाव डालकर डीसीबीएल को कडप्पा जिले में 407 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन पट्टा दिलाने में मदद की थी। यह सब 'क्विड प्रो क्वो' डील के तहत हुआ था। ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया कि DCBL और जगन के बीच हुए एक समझौते के तहत रघुराम सीमेंट्स लिमिटेड के शेयर फ्रेंच कंपनी PARFICIM को 135 करोड़ में बेचे गए थे। जिसमें से 55 करोड़ रुपये कैश में हवाला के जरिए जगन को दिए गए। इन भुगतानों की जानकारी आयकर विभाग, नई दिल्ली द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों में मिली है।

2013 में दाखिल हुई थी चार्जशीट

इस मामले में सीबीआई ने 8 अप्रैल, 2013 को जगन रेड्डी समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईपीसी की धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। ईडी का कहना है कि 139 करोड़ रुपये हवाला चैनलों के जरिए जगन की कंपनियों को भेजने की योजना थी। जिसमें से 55 करोड़ का पेमेंट पहले ही हो चुका था। जांच एजेंसियों का यह भी आरोप है कि DCBL ने कथित बिक्री की रकम को हवाला चैनलों के माध्यम से जगन को नकद में वापस कर दिया। इससे यह साबित होता है कि 95 करोड़ रुपये का शुरुआती पेमेंट अवैध रूप से किया गया था। यह पेमेंट आंध्र प्रदेश सरकार से मिले अनुचित लाभ के लिए अवैध रूप से दिया गया रिश्वत था, न कि वास्तविक निवेश था।

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