राशन कार्ड घोटाला: उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में अन्त्योदय राशन कार्डों की व्यापक जांच शुरू करने के आदेश जारी कर दिए हैं. यह फैसला तब लिया गया जब मुरादाबाद मंडल में एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ, जिसमें हजारों अपात्र लोगों को गरीबों के नाम पर राशन कार्ड दिए गए थे.
इस गंभीर गड़बड़ी की शुरुआत मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर IAS ऑञ्जनेय कुमार सिंह की पहल से हुई. उन्होंने मंडल के ग्रामीण क्षेत्रों की ग्राम पंचायतों में अन्त्योदय परिवारों की पात्रता की जांच कराने के आदेश दिए.
विशेष बात यह रही कि जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष रहे, इसलिए टीमों में खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया. इससे जांच को किसी भी तरह की प्रभावित करने की गुंजाइश खत्म हो गई.
जांच मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर, संभल और रामपुर जिलों की 50 ग्राम पंचायतों में कराई गई. हर ब्लॉक से एक ग्राम पंचायत को नमूने के रूप में चुना गया, और वहां के 95 उचित दर विक्रेताओं की दुकानों से डेटा जुटाया गया.
जांच में कुल 4,343 अन्त्योदय कार्डों का सत्यापन किया गया, जिसमें 1,063 कार्ड अपात्र निकले. जिलेवार स्थिति इस प्रकार रही:
IAS ऑञ्जनेय कुमार सिंह ने कहा कि अपात्रों को सूची से हटाया जाएगा और जिन अधिकारियों/कर्मचारियों ने ये कार्ड जारी किए हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. संबंधित जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं और राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है.
इस फर्जीवाड़े की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों और मुख्य विकास अधिकारियों को आदेश दिया है कि 15 जून से 21 जून तक प्रदेश की हर ग्राम सभा में अन्त्योदय राशन कार्डों की जांच की जाए.
इस आदेश के बाद प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है, क्योंकि अब तक का मामला सिर्फ नमूने के तौर पर एक-एक गांव से आया है, लेकिन अगर पूरे प्रदेश में जांच हुई, तो यह घोटाला और भी बड़े स्तर पर सामने आ सकता है.
कमिश्नर सिंह ने सख्त लहजे में कहा है कि, “गरीबों के हक पर डाका डालने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.” उन्होंने साफ किया कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, जिन्होंने नियमों का उल्लंघन कर अपात्रों को राशन कार्ड दिए, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाएगी.