सौर पंप मरम्मत: हरियाणा के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है. प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत वित्त वर्ष 2025-26 में 30,471 सोलर पंप किसानों को दिए जाएंगे. इसका मकसद खेती में बिजली पर निर्भरता को कम करना और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना है.
Haryana Renewable Energy Development Agency (HAREDA) ने स्पष्ट किया है कि इन सोलर पंपों में भविष्य में अगर कोई तकनीकी खराबी आती है, तो पंप को गोदाम तक लाने और वापस ले जाने की जिम्मेदारी वेंडर की होगी. इसके अलावा खराब उपकरणों की रिप्लेसमेंट और मरम्मत भी वेंडर को ही अपने खर्चे पर करनी होगी.
HAREDA ने टेंडर की शर्तों के आधार पर निर्देश दिया है कि सभी वेंडरों को कम से कम पांच वर्षों तक पंपों का नि:शुल्क रखरखाव करना होगा. इस अवधि में पंप या उसके किसी भी उपकरण में कोई भी खराबी आने पर किसानों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा.
अब तक की व्यवस्था में जब सोलर पंप खराब होते थे, तो किसानों को खुद उसे गोदाम तक पहुंचाने और फिर वापस लाने की जिम्मेदारी निभानी पड़ती थी. यह प्रक्रिया बेहद कठिन और खर्चीली थी. लेकिन नए दिशा-निर्देशों के बाद अब यह जिम्मेदारी पूरी तरह वेंडर पर होगी, जिससे किसानों को राहत मिलेगी.
HAREDA को पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में शिकायतें प्राप्त हो रही थीं कि जब सोलर पंप में खराबी आती है, तो वेंडर कंपनियां उसे ठीक करने से इनकार कर देती हैं या किसानों पर ही पंप ले जाने और लाने का बोझ डालती हैं. इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अब स्पष्ट और सख्त निर्देश जारी किए गए हैं.
HAREDA ने कहा है कि यदि भविष्य में किसी भी वेंडर की तरफ से रखरखाव में लापरवाही या किसानों से अनावश्यक शुल्क वसूलने की शिकायत मिलती है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसमें कॉन्ट्रैक्ट रद्द करना और ब्लैकलिस्ट करना भी शामिल हो सकता है.
सोलर पंपों की सहायता से किसान बिजली की लागत बचा सकेंगे, जिससे उनकी खेती की लागत कम होगी और मुनाफा बढ़ेगा. साथ ही गर्मी के मौसम में बिजली की अनिश्चितता से होने वाली परेशानियों से भी उन्हें छुटकारा मिलेगा. इससे किसानों को स्वावलंबी और तकनीक समर्थ बनने का अवसर मिलेगा.
हरियाणा कृषि प्रधान राज्य है और यहां सिंचाई के लिए बिजली की भारी मांग रहती है. PM कुसुम योजना का उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा आधारित पंप देकर उन्हें परंपरागत ऊर्जा पर निर्भरता से मुक्त कराना है. इससे ऊर्जा संकट और प्रदूषण दोनों को कम करने में सहायता मिलेगी.