महिलाओं के लिए मंदिर में खुले बाल रखने के नियम और उनके पीछे का कारण
Gyanhigyan June 18, 2025 10:42 PM
मंदिर में जाने के नियम

हिंदू धर्म में मंदिर जाने के लिए कई नियम निर्धारित किए गए हैं। शास्त्रों में महिलाओं के लिए भी कुछ विशेष निर्देश दिए गए हैं। उदाहरण के लिए, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को मंदिर में जाने से मना किया गया है। इसी तरह, यह भी कहा जाता है कि महिलाओं को खुले बालों के साथ मंदिर में नहीं जाना चाहिए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है?


खुले बालों के साथ मंदिर में न जाना

शास्त्रों के अनुसार, महिलाओं को खुले बालों के साथ न तो मंदिर में जाना चाहिए और न ही पूजा-पाठ करना चाहिए। इसका कारण यह है कि पूजा के समय मन को शांत और सकारात्मक रखना आवश्यक है। पूजा से पहले स्नान करने और साफ कपड़े पहनने की तरह, मन को भी नकारात्मकता से मुक्त होना चाहिए।


दुर्भाग्य का संकेत

खुले बालों को नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, खुले बालों के कारण नकारात्मक ऊर्जा शरीर में प्रवेश कर सकती है। जब महिलाएं खुले बालों के साथ पूजा करती हैं, तो उनकी पूजा स्वीकार नहीं होती और फलस्वरूप दुर्भाग्य का सामना करना पड़ सकता है।


ईश्वर का अपमान

एक और कारण यह है कि खुले बालों के कारण महिलाओं का ध्यान अपने बालों पर केंद्रित हो जाता है, जिससे वे भगवान की पूजा में ध्यान नहीं लगा पातीं। इसलिए, महिलाओं को मंदिर में हमेशा अपने बाल बांधकर जाना चाहिए। ऐसा न करना ईश्वर का अपमान माना जाता है। इसके अलावा, खुले बाल बुरी शक्तियों को भी आकर्षित कर सकते हैं।


पुराणों में नकारात्मकता का उदाहरण

महाभारत और रामायण में भी खुले बालों का नकारात्मकता से संबंध दर्शाया गया है। रामायण में, महारानी कैकेयी ने जब नाराज होकर बाल खोले, तो उनके मन में नकारात्मक विचार आए। महाभारत में, द्रौपदी को दुर्सासन द्वारा बालों से घसीटने का उदाहरण भी इसी बात को दर्शाता है। इस प्रकार, महिलाओं को मंदिर में खुले बालों के साथ जाने से मना किया जाता है।


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