कितने और मास्टरस्ट्रोक देखने बाकी…बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन पर भड़का विपक्ष, INDIA ने चुनाव आयोग से की मुलाकात
TV9 Bharatvarsh July 03, 2025 01:42 PM

बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इसी बीच चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण अभियान का ऐलान कर दिया है. इसी के बाद हलचल मच गई है. दस्तावेज मांगने की प्रक्रिया शुरू की है. पिछले महीने 24 जून को निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का निर्देश दिया था. इसी के बाद अब विपक्ष इसको लेकर निशाना साध रहा है.

विपक्ष का कहना है कि विधानसभा चुनाव होने में काफी कम समय बचा है. इतने कम समय में वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण किए जाने से कई लोग वोट देने से वंचित रह जाएंगे. इसी बीच कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करके बताया कि इस मामले को लेकर इंडिया ब्लॉक के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मुलाकात की. यह प्रक्रिया 25 जून से 26 जुलाई 2025 के बीच होनी है. इसके तहत

इंडिया गठबंधन ने चुनाव आयोग से की मुलाकात

चुनाव आयोग का कहना है कि इसका मकसद है वोटर लिस्ट से फर्जी और गलत नाम हटाना. लेकिन विपक्ष इसे वोटबंदी’ और ‘बैकडोर NRC’ कहकर सवाल उठा रहा है. पिछले महीने 24 जून को निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का निर्देश दिया था. चुनाव आयोग ने राज्य में मतदाताओं की पहचान और नागरिकता से जुड़े दस्तावेज मांगने की प्रक्रिया शुरू की है. इस कदम का मकसद वोटर लिस्ट से फर्जी और गलत नाम हटाना है. लेकिन विपक्ष इसे वोटबंदी’ कह रहा है.

जयराम रमेश ने पोस्ट कर दी जानकारी

जयराम रमेश ने इंडिया गठबंधन की चुनाव आयोग से हुई मुलाकात के बाद एक्स हैंडल पर पोस्ट किया. उन्होंने कहा, कल शाम (बुधवार) इंडिया ब्लॉक के प्रतिनिधिमंडल ने बिहार की विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर चुनाव आयोग से मुलाकात की.

पहले आयोग ने मिलने से इनकार कर दिया था, लेकिन फिर दबाव में आकर प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया. आयोग ने मनमाने ढंग से प्रत्येक पार्टी से सिर्फ दो प्रतिनिधियों को ही अनुमति दी, जिससे हममें से कई लोग आयोग से मुलाकात नहीं कर सके. मैं खुद लगभग दो घंटे तक प्रतीक्षालय में बैठा रहा.

कल शाम INDIA ब्लॉक के प्रतिनिधिमंडल ने बिहार की विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर चुनाव आयोग से मुलाकात की। पहले आयोग ने मिलने से इनकार कर दिया था, लेकिन अंततः दबाव में आकर प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया। आयोग ने मनमाने ढंग से प्रत्येक पार्टी से केवल दो प्रतिनिधियों को ही

— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh)

कितने और मास्टरस्ट्रोक देखने बाकी?

जयराम रमेश ने कहा, पिछले 6 महीनों में आयोग का रवैया लगातार ऐसा रहा है, जो हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना को कमजोर करता है. चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है. यह विपक्ष की सुनवाई के अनुरोधों को नियमित रूप से अस्वीकार नहीं कर सकता. आयोग को संविधान की भावना और उसके प्रावधानों के अनुरूप काम करना चाहिए. सबसे जरूरी बात यह है कि चुनाव आयोग राजनीतिक दलों से बातचीत के लिए मनमाने नियम नहीं बना सकता -जैसे कि प्रतिनिधियों की संख्या, उनके पद, या यह तय करना कि कौन अधिकृत है और कौन नहीं.

जब प्रतिनिधिमंडल ने इन नियमों को मनमाना और भ्रामक बताया, तो आयोग ने जवाब दिया, ‘यह नया आयोग है’ यह सुनकर चिंता और गहरी हो जाती है , इस ‘नए’ आयोग की अगली चाल क्या होगी? और कितने और मास्टरस्ट्रोक देखने बाकी हैं?

जैसे नवंबर 2016 की नोटबंदी ने हमारी अर्थव्यवस्था को गहरा झटका दिया था, वैसे ही चुनाव आयोग की यह वोटबंदी -जो बिहार और अन्य राज्यों में SIR के रूप में सामने आ रही है – यह हमारे लोकतंत्र को नष्ट कर देगा.

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