क्या हुआ मामला?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक युवक एक लड़की के ब्लाउज को ठीक करता नजर आ रहा है। वीडियो में कोई आपत्तिजनक गतिविधि नहीं दिखती — लेकिन जैसे ही इसे "Priyanka Blouse Video" नाम से साझा किया गया, कुछ यूजर्स ने इसे सांप्रदायिक रंग दे दिया।
मुख्य आरोप:
वीडियो शेयर करने वाले यूजर दीपक शर्मा ने युवक की पहचान "मोहम्मद आलम" बताई और यह कहते हुए पोस्ट किया:
"कल जब सड़ी-गली हालत में मिलेगी, तो रोना भी पड़ेगा।"
एक अन्य यूजर गौरव ने भी महिला पर आपत्तिजनक टिप्पणी की।
चलो भाई...
— Deepak Sharma (@SonOfBharat7) July 2, 2025
सब मिलकर प्रियंका को शाबाशी दो...
शाबाशी इसलिए क्यूंकि प्रियंका का ब्लाउज़
ठीक करने वाला बेहद मज़हबी मोहम्मद आलम है
अरे भाई शाबाशी तो देनी पड़ेगी.... क्यूंकि कल
को जब ये कहीं सड़ी गली हालत में मृत मिलेगी
तो हमें इसके लिए आंसू भी तो बहाने हैं..
शाबाश प्रियंका शाबाश✍️ pic.twitter.com/PjLcmHqhfW
भीड़भाड़ वाली जगह पर रिकॉर्ड किए गए इस वीडियो को कई यूजर्स ने भ्रामक कैप्शन के साथ शेयर किया।
वीडियो को गलत संदर्भ में सांप्रदायिक और स्त्री-विरोधी टिप्पणी के साथ प्रस्तुत किया गया।
नहीं। वीडियो की जांच से पता चलता है कि युवक और युवती के बीच कोई ज़बरदस्ती नहीं थी।
यह स्पष्ट रूप से किसी शूटिंग या परफॉर्मेंस की तैयारी का हिस्सा लगता है।
मॉरल पोलिसिंग:
सोशल मीडिया पर महिलाओं के पहनावे या आचरण को लेकर अक्सर जनता नैतिकता का ठेका उठा लेती है।
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण:
युवक का नाम “मोहम्मद आलम” बताकर जानबूझकर धार्मिक पहचान को निशाना बनाया गया।
स्त्री विरोधी मानसिकता:
लड़की को “कल मरी मिलेगी” कहकर ट्रोल किया गया – यह महिला विरोध और हिंसा को बढ़ावा देता है।
आईटी एक्ट 2000 और आईपीसी की धारा 153A, 509 जैसे कानून ऐसे मामलों में लागू हो सकते हैं:
धार्मिक विद्वेष फैलाना
महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना
ऑनलाइन उत्पीड़न
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने जांच की मांग की है।
साइबर क्राइम सेल वीडियो को hate speech और character assassination के संभावित मामलों के तौर पर देख रही है।
दोषी पाए जाने पर यूजर्स पर कार्रवाई हो सकती है।
ट्विटर (अब X), फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स को कंटेंट मॉडरेशन और फैक्ट चेकिंग को मजबूत करना होगा।
नफरत फैलाने वाली पोस्ट को समय रहते हटाना और रिपोर्टिंग सिस्टम को बेहतर बनाना बेहद ज़रूरी है।
क्या किसी युवक द्वारा महिला का ब्लाउज ठीक करना हिंसात्मक कृत्य है?
क्या धर्म के नाम पर किसी के व्यवहार को परिभाषित करना न्याय है?
क्या ऑनलाइन ट्रोलिंग के बहाने महिलाओं की गरिमा से खिलवाड़ स्वीकार्य है?
"Priyanka Blouse Video" सिर्फ एक वायरल क्लिप नहीं, बल्कि यह हमारी सामूहिक सोच, सोशल मीडिया की शक्तियों और उसकी कमजोरियों का आईना है।
हमें तय करना है —
क्या हम इंसानियत के नजरिये से सोचेंगे?
या धर्म, लिंग और नैतिकता के छद्म चश्मे से?
🔴 Alert for Users:
सोशल मीडिया पर कोई भी कंटेंट शेयर करने या उस पर टिप्पणी करने से पहले तथ्यों की पुष्टि करें। झूठ, नफरत और पूर्वाग्रह से बचें।
🛑 वायरल से पहले सोचें – क्या आप सच्चाई के साथ हैं या सनसनी के पीछे?
Disclaimer: नीचे दिया गया लेख एक संवेदनशील विषय पर आधारित है और इसमें सांप्रदायिकता, महिला अधिकार, ऑनलाइन नफरत और सोशल मीडिया की भूमिका से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। उद्देश्य है – जन जागरूकता, न कि पक्ष लेना।