बारिश सीजन में आलू-प्याज नही होगा खराब, कई महीनों तक ताजा मिलेगा माल Potato Onion Storage Tips – अभी पढ़ें ये खबर
Rahul Mishra (CEO) July 06, 2025 03:28 PM

आलू प्याज भंडारण युक्तियाँ: मानसून के मौसम में किसानों को सबसे ज्यादा चिंता अपनी उपज की सुरक्षा को लेकर होती है. खासकर आलू और प्याज जैसे संवेदनशील उत्पाद, जो थोड़ी सी नमी से सड़ जाते हैं और किसान को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. इस कारण कई किसान इन्हें कम दामों पर बेचने को मजबूर हो जाते हैं.

बांस के रैक से बना नया देसी स्टोरेज मॉडल

मध्यप्रदेश के सागर जिले के किसान आकाश चौरसिया ने इस समस्या का बिना खर्च वाला देसी समाधान खोज निकाला है. उन्होंने अपनी गौशाला की जगह का उपयोग करते हुए एक अद्भुत स्टोरेज सिस्टम तैयार किया है, जहां 8 फीट की ऊंचाई पर बांस का मजबूत रैक बनाया गया है. इस रैक पर उन्होंने आलू और प्याज को सुरक्षित तरीके से रखा है.

बेहतर वेंटिलेशन से उपज रहती है ताजा

आकाश का कहना है कि इस बांस रैक मॉडल में चारों ओर से हवा का अच्छा वेंटिलेशन होता है. आजू-बाजू में लगे फैन लगातार हवा चलाते रहते हैं, जिससे आलू-प्याज को सड़ने से बचाया जा सकता है. साथ ही, रैक की ऊंचाई इतनी होती है कि बारिश की नमी इन तक नहीं पहुंचती.

बिना देखे 4 महीने तक रख सकते हैं स्टॉक

इस स्टोरेज सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार आलू-प्याज रख देने के बाद 4 महीने तक भी इसे बिना देखे छोड़ा जा सकता है, और गुणवत्ता पर कोई असर नहीं होता. जब बाजार में दाम बढ़ते हैं, तब इन्हें बेचकर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.

मल्टी-स्टोरी रैक से बचाएं जगह और बढ़ाएं भंडारण

आकाश ने बताया कि इस स्टोरेज सिस्टम को मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की तरह तैयार किया जा सकता है. यानी एक ही स्थान पर कई लेयरों में स्टोरेज की व्यवस्था की जा सकती है. इससे किसान थोड़ी सी जगह में ज्यादा मात्रा में आलू-प्याज स्टोर कर सकते हैं.

कैसे बनाएं बांस का रैक स्टोरेज?

इस सिस्टम को बनाने के लिए बांस का उपयोग सबसे किफायती तरीका है. आकाश बताते हैं कि जब हम गौशाला बनाते हैं, तो जो बांस जमीन से छप्पर को सहारा देने के लिए लगाए जाते हैं, उन्हीं बांसों में से कुछ को फाड़कर रैक बना दिया जाता है.

उसके ऊपर जालीदार कपड़ा या बोरा डालकर आलू-प्याज रखे जाते हैं. इससे नीचे, ऊपर और चारों तरफ से हवा चलती रहती है और नमी नहीं ठहरती.

इस तकनीक के फायदे

  • कोल्ड स्टोरेज की जरूरत नहीं
  • बिजली और मशीनों पर खर्च नहीं
  • कई सालों तक दोबारा उपयोग
  • बारिश में उपज सुरक्षित और नुकसान से बचाव
  • बाजार भाव बढ़ने पर बेचकर मुनाफा

नवाचार से बढ़ी किसान की कमाई

देसी तकनीक और समझदारी से तैयार किया गया यह सिस्टम देशभर के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता जा रहा है. ना तो इसमें ज्यादा लागत आती है, और ना ही तकनीकी ज्ञान की जरूरत पड़ती है. केवल थोड़ी सूझ-बूझ और परंपरागत संसाधनों का सही उपयोग करके कोई भी किसान बारिश में उपज को खराब होने से बचा सकता है.

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