अमूमन मानसून के आगमन के साथ ही सब्जियों के दाम आसमान छूने लगते है. इस दौरान लोगों के सब्जियां खरीदने में पसीना छूट जाते हैं. ऐसी ही कुछ झारखंड की राजधानी रांची से सामने आया है, जहां एक खास तरह की सब्जी का दाम 100, 200 या फिर 300 रुपये किलो नहीं बल्कि 1000 से 1200 किलो तक है. इसके बावजूद लोग इस खरीदने के लिए साल भर इंतजार करते हैं. खास बात यह है कि इस सब्जी की पैदावार खेत में नहीं होती है.
राजधानी रांची समेत झारखंड के विभिन्न जिलों के बाजारों में इन दिनों एक खास तरह की सब्जी का आगमन हुआ है. इस सब्जी का नाम रुगडा है, जिसे शाकाहारी मटन भी कहा जाता है. इस सब्जी के आगमन के साथ यह बाजार का राजा बन गया है, न सिर्फ अपने आसमान छूते दाम के कारण बल्कि अपने लाजवाब स्वाद के कारण भी इसकी काफी मांग है. यह सब्जी न सिर्फ विटामिन और प्रोटीन से भरपूर है, बल्कि इसे ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए भी रामबाण माना जाता है.
इम्यूनिटी बूस्टर सब्जीडॉक्टर का भी मानना है कि रुगड़ा का सेवन इंसान के इम्यूनिटी सिस्टम को बेहतर बनाता है. इस सब्जी में विटामिन बी, विटामिन सी, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम और तांबा भी पाया जाता है. इसमें कैलोरी बहुत कम मात्रा में होती है. दरअसल, ‘रुगड़ा’ मशरूम प्रजाति की ही सब्जी मानी जाती है , लेकिन यह जमीन के ऊपर मशरूम की तरह नहीं उगती है. बल्कि इसकी पैदावार जमीन के अंदर ही होती है, जो बारिश के केवल 2 महीने यानी जून और जुलाई में सखुआ के पेड़ के इर्द-गिर्द तेज बारिश और वज्रपात के कारण धरती को चीरता हुई निकलती है.
जानें क्या है कीमतग्रामीणों की माने तो जितनी अधिक बारिश और वज्रपात होगा उतनी अधिक मात्रा में सखुआ के जंगल और सखुवा के पेड़ के आसपास की धरती को फाड़ कर रुगड़ा निकलेगा. अंडरग्राउंड मशरूम के नाम से भी कई लोग इस सब्जी को जानते हैं. ऐसे तो रुगड़ा की 12 प्रजातियां होती है, जिसमें सफेद रुगड़ा ही सर्वाधिक पौष्टिक माना जाता है. यह सब्जी झारखंड की समृद्ध खानपान की संस्कृति को जीवंत रखने के साथ ही साथ झारखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है. इस सब्जी की कीमत 50 या फिर 100 रुपये किलो नहीं बल्कि 1000 से 1200 रुपये किलो है.