संघर्ष, जुनून और सफलता का मिश्रण...जानें कैसे ज्योति नाईक ने उधार के 80 रुपये से शुरू किए कारोबार को बनाया 1600 करोड़ से ज्यादा का साम्राज्य
et July 07, 2025 01:42 PM
कहते हैं, सपनों की उड़ान के लिए पंख नहीं, हौसले चाहिए होते हैं. कई लोगों के पास अथाह संपत्ति होती है उसके बाद भी वे कुछ बड़ा नहीं कर पाते, वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अभावों के बाद भी कुछ ऐसा कर जाते हैं कि उनका नाम बड़े-बड़े लोगों में शामिल हो जाता है. ज्योति नाइक इसकी जीती-जागती मिसाल हैं. एक ऐसी महिला, जिसने सिर्फ 80 रुपये उधार से शुरू हुए छोटे उद्योग को 1600 करोड़ रुपये से ज्यादा के कारोबारी साम्राज्य में बदल दिया. यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है, संघर्ष, जुनून और सफलता के ऐसे मिश्रण की, जो हर किसी को प्रेरित करता है. आइए, ज्योति नाइक के बारे में जानते हैं. कैसे एक महिला का एक छोटा-सा कदम एक विशाल साम्राज्य की नींव बना.



शुरुआत थी मुश्किल, लेकिन सपने थे बड़े ज्योति नाइक का जन्म और पालन-पोषण एक साधारण परिवार में हुआ. आर्थिक तंगी और सीमित संसाधनों के बीच बचपन गुजरा. वे अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहती थीं. चार भाई-बहनों में बड़ी होने के कारण जिम्मेदारियां अधिक थी. 80 रुपये के छोटे से उधार से महिलाओं द्वारा शुरू की गई श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ के छोटे व्यवसाय से वे साल 1971 में में जुड़ी. उस समय वे केवल बारह साल की थीं. लेकिन कहते हैं ना जरूरतें इंसान को समय से पहले बड़ा कर देती है.

साल 1976 में मां के गुजर जाने के बाद परिवार की जिम्मेदारी ज्योति के कंधों पर आ गई. इस मुश्किल समय में उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत की. 1981 में उन्हें शाखा प्रबंधक बना दिया गया. उसके बाद संस्था में उन्होंने कई पदों पर काम किया और फिर लिज्जत पत्रिका न्यूज़लेटर की संपादक बनीं. 1989 से लेकर 1999 उपाध्यक्ष और फिर 1999 में श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ उद्योग की अध्यक्ष बनाई गईं.

उनकी सूझबूझ और ग्राहकों की नब्ज पकड़ने की कला ने उन्हें जल्द ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ने में मदद की. चाहे वह प्रोडक्ट की क्वालिटी हो या मार्केटिंग की रणनीति, ज्योति ने हर मोर्चे पर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया. उन्होंने न केवल अपने प्रोडक्ट्स को बेहतर बनाया, बल्कि ग्राहकों के साथ एक ऐसा रिश्ता बनाया, जो उनके ब्रांड को मजबूती देता गया.

ज्योति ने कारोबार को बढ़ाने के लिए नई तकनीकों को अपनाया, डिजिटल मार्केटिंग का सहारा लिया और हमेशा अपने ग्राहकों की जरूरतों को प्राथमिकता दी. यही वजह है कि आज लिज्जत पापड़ का ब्रांड न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुका है.

ज्योति नायक ने न केवल कारोबार को आगे बढ़ाया बल्कि कई ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी दिया. आज लिज्जत पापड़ उद्योग की 81 शाखाओं में 45,000 लोग काम करते हैं. साल 2021 में ही 1600 करोड़ रुपये का रेवेन्यू प्राप्त हो गया था.

ज्योति नाइक महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित भी करती है. उन्हें साल 2001-02 में द इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा बिजनेसवुमन ऑफ़ द ईयर से सम्मानित किया गया. उन्हें महिला सशक्तिकरण के लिए उनकी सेवाओं के लिए वंदेमातरम राष्ट्रीय सेवा पुरस्कार से भी नवादा जा चुका है.



ज्योति नाइक की कहानी सिर्फ सफलता की नहीं, बल्कि उन तमाम चुनौतियों की भी है, जिन्हें उन्होंने पार किया. आर्थिक तंगी, सामाजिक बाधाएं और बाजार की कठिन प्रतिस्पर्धा—हर मोर्चे पर उन्होंने डटकर सामना किया. उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि एक साधारण शुरुआत से भी असाधारण ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है.

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