दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 विधानसभा से पारित हो गया है. प्राइवेट स्कूलों की फीस रेगुलेशन के लिए लाए गए इस बिल पर चर्चा के दौरान शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि इस मुद्दे पर लोग मुख्यमंत्री के पास परेशानी लेकर गए थे, अभिभावकों ने आरोप भी लगाए थे. मुख्यमंत्री ने अभिभावकों की उपस्थिति में मुझे और अधिकारियों को फोन किया. उन्होंने मुझसे कहा कि हम 27 साल बाद चुनकर आए हैं लेकिन लोगों की पीड़ा इतनी है कि हमें जल्द कुछ न कुछ करना चाहिए.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि हम सभी को याद रखना चाहिए कि पीएम मोदी की गारंटी और मुख्यमंत्री की राजनीतिक इच्छा शक्ति से हम बंधे हैं. उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान विपक्ष के 12 लोग बोले. दो लोगों ने बिल के क्लॉज का जिक्र किया, बाकी तो बिना कुछ बात के बोले जा रहे हैं.
शिक्षा क्रांति की खुली पोलउन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार के शिक्षा क्रांति की पोल खुल रही है, इसलिए हलचल मच रही है. टिफिन घर को फांसी घर बताने वाले क्या ही कहेंगे. शिक्षा मंत्री ने कहा कि विपक्ष का दावा अभिभावकों का भी अपमान है. पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि 10 फीसदी फीस बढ़ाई जाएगी, बताएं अभी कहां लिखा है, फीस बढ़ा सकते हैं.
पिछली सरकारों ने सैकड़ों प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ोत्तरी की मंजूरी दी. नजफगढ़ के एक स्कूल ने 2 हजार से फीस बढ़ाकर 2400 की, 20 फीसदी बढ़ोतरी के बाद भी किसी ने कुछ नहीं कहा. 1700 में 236 स्कूल आप के कहने पर फीस बढ़ोतरी की एप्लीकेशन लगाते थे.
विक्टिम कार्ड लेकर चलती रही आप सरकारपांच साल में कुल 14 बिल पास हुए. इनके समय उसी दिन बिल पास हुए लेकिन आज इनको चर्चा चाहिए. 2012 के बाद कोई बिल सिलेक्ट कमेटी में नहीं गया. आतिशी जी ने कहा कि हमने भी दो बार कोशिश की, लेकिन केंद्र ने मंजूरी नहीं दी. जेब में ये विक्टिम कार्ड लेकर चलते हैं.आज कह रहे हैं, बिल पब्लिक कंसल्टेंट में जाना चाहिए. 2015 में तीन बिल लाए तो सदन में 4 बजे चर्चा शुरू होती है. एक भी विपक्ष के सदस्य को मौका नहीं दिया. 6 बजे चर्चा और फिर 2 घंटे में तीनों बिल पास हो गए.
फीस बढ़ोतरी पर लगाम लगाइएआशीष सूद ने पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी से सवाल पूछते हुए कहा कि आपने तब कंसल्टेशन क्यों नहीं की. उन्होंने कहा कि डीपीएस द्वारका में आपके कारण बाउंसर लगे. आपने कहा केंद्र ने बिल पास नहीं किया. केंद्र ने आपसे कहा फीस बढ़ोतरी पर लगाम लगाइए, तो आपने जवाब दिया, अब नया बिल देंगे. तब क्यों नहीं सुझाव समाहित कर बिल दिया गया. NCPI के तहत ये अपने बिल में 13 फीसदी फीस बढ़ोतरी की मंजूरी ये लोग दे रहे थे.