आमतौर पर परंपरा, स्वाद और शौक से जुड़ा पान अब स्वास्थ्य और विज्ञान के दृष्टिकोण से भी नई पहचान बना रहा है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किए गए एक शोध में यह खुलासा हुआ है कि पान के पत्तों में कैंसर से लड़ने वाले यौगिक मौजूद हैं, जो इसे केवल स्वाद का स्रोत नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए लाभकारी भी बनाते हैं।
शोध के अनुसार, पान के पत्तों में प्राकृतिक फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए गए हैं, जो शरीर में कैंसर पैदा करने वाले तत्वों के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पान के विभिन्न प्रकारों का विश्लेषण किया और पाया कि इनमें मौजूद यौगिक कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में प्रभावशाली हैं।
इस शोध के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. [नाम] ने बताया कि यह खोज पान के स्वास्थ्य लाभ को लेकर नए दृष्टिकोण खोलती है। उन्होंने कहा, "पान केवल एक पारंपरिक उत्पाद नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक औषधीय गुणों से भरपूर है। हमारा शोध यह दर्शाता है कि पान में मौजूद कुछ यौगिक कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में सहायक हो सकते हैं।"
वहीं, शोध में यह भी पाया गया कि पान का सही और संतुलित सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि पान के पत्तों का संयोजन और प्राकृतिक तैयारी ही इसके औषधीय गुणों को अधिक प्रभावशाली बनाता है। उन्होंने चेतावनी भी दी कि पान के सेवन में अगर अतिरिक्त तंबाकू या अन्य हानिकारक तत्व मिलाए जाएं तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के शोध दल ने इस अध्ययन को आगे बढ़ाते हुए पान आधारित स्वास्थ्य उत्पादों और औषधीय विकल्पों पर भी अनुसंधान करने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य पान को एक प्राकृतिक और सुरक्षित स्वास्थ्य संवर्धक के रूप में पेश करना है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह शोध न केवल पान की पारंपरिक छवि को बदल सकता है, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली में पान के उपयोग को भी नए आयाम प्रदान करेगा। साथ ही, यह शोध किसानों और पान उत्पादकों के लिए भी नए आर्थिक अवसर पैदा कर सकता है, क्योंकि पान की स्वास्थ्यवर्धक गुणवत्ता को बाजार में वैज्ञानिक रूप से प्रमोट किया जा सकेगा।
इस अध्ययन के परिणाम से यह भी स्पष्ट होता है कि परंपरागत खाद्य और औषधीय पौधे जिन पर अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, उनमें वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण गुण मौजूद हो सकते हैं। पान जैसी प्राचीन परंपरा को वैज्ञानिक दृष्टि से समझना न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय का यह शोध यह संदेश देता है कि स्वास्थ्य और परंपरा का संगम पान के माध्यम से संभव है। आने वाले समय में इसके और विस्तृत अध्ययन से यह पता लगाया जा सकेगा कि पान में मौजूद यौगिक कितने प्रभावशाली रूप से कैंसर जैसी बीमारियों के खिलाफ काम कर सकते हैं