Durga Saptshati Text : कहीं एक गलती से अधूरी न रह जाए आपकी नवरात्रि पूजा, जानें सही विधि और नियम
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News India Live, Digital Desk: Durga Saptshati Text : शारदीय नवरात्रि में जब मां दुर्गा धरती पर आती हैं, तो हर भक्त उनकी कृपा पाने के लिए पूजा-पाठ, व्रत और अनुष्ठान करता है. इन सभी साधनाओं में 'दुर्गा सप्तशती' का पाठ सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली माना गया है. मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में जो भी व्यक्ति सच्चे मन और सही विधि से इसका पाठ करता है, मां दुर्गा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. लेकिन, अक्सर जानकारी के अभाव में लोग पाठ के दौरान कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिससे उन्हें पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता.अगर आप भी इस नवरात्रि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने की सोच रहे हैं, तो इन नियमों को जानना आपके लिए बेहद जरूरी है.पाठ शुरू करने से पहले की तैयारीसंकल्प लें: किसी भी पूजा की शुरुआत संकल्प से होती है. पहले दिन हाथ में जल, फूल और अक्षत (चावल) लेकर यह संकल्प लें कि आप किस मनोकामना के लिए और कितने दिनों तक यह पाठ कर रहे हैं.पवित्रता का ध्यान रखें: जिस स्थान पर पाठ करना है, उसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें. खुद भी स्नान करके साफ, धुले हुए वस्त्र पहनें. बेहतर हो कि आप लाल रंग के ऊनी आसन पर बैठकर पाठ करें.पुस्तक को सम्मान दें: दुर्गा सप्तशती की पुस्तक को सीधे जमीन पर या हाथ में लेकर न पढ़ें. इसे किसी साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें और पूजा करें.दुर्गा सप्तशती पाठ की सही विधिसिर्फ किताब खोलकर अध्याय पढ़ना शुरू कर देना सही तरीका नहीं है. दुर्गा सप्तशती का पाठ एक विशेष क्रम में किया जाता है, जिसका पालन करना अनिवार्य है:गणेश पूजन: सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और उनकी पूजा करें, ताकि आपका पाठ बिना किसी विघ्न के पूरा होशापोद्धार और कीलक: दुर्गा सप्तशती के सभी मंत्र शापित हैं, इसलिए पाठ से पहले 'शापोद्धार' और 'कीलक' स्तोत्र का पाठ करके उन्हें जागृत किया जाता हैकवच और अर्गला: इसके बाद 'देवी कवच' का पाठ करें, जो आपकी हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है. फिर 'अर्गला स्तोत्र' का पाठ किया जाता है, जो मां से सुख-समृद्धि और विजय का वरदान मांगने के लिए हैनवार्ण मंत्र का जाप: पाठ शुरू करने से पहले और समाप्त होने पर नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' का एक माला (108 बार) जाप अवश्य करें.तेरह अध्यायों का पाठ: अब दुर्गा सप्तशती के सभी 13 अध्यायों का पाठ करें. ध्यान रहे कि पाठ करते समय उच्चारण बिल्कुल साफ और शुद्ध हो. बहुत तेज या बहुत धीरे न पढ़ें.सिद्ध कुंजिका स्तोत्र और क्षमा प्रार्थना: पाठ के अंत में 'सिद्ध कुंजिका स्तोत्र' का पाठ करें, क्योंकि इसके बिना सप्तशती का पाठ अधूरा माना जाता है. अंत में, जाने-अनजाने में हुई किसी भी गलती के लिए मां दुर्गा से क्षमा प्रार्थना जरूर करें.पाठ के दौरान इन बातों का रखें खास ध्यानअधूरा न छोड़ें: एक बार पाठ शुरू करने के बाद उसे अधूरा न छोड़ें. अगर एक दिन में पूरे 13 अध्याय पढ़ना संभव न हो, तो आप इसे नौ दिनों में बांटकर भी पढ़ सकते हैं.मन को शांत रखें: पाठ करते समय अपना पूरा ध्यान मां दुर्गा के स्वरूप और पाठ के शब्दों पर केंद्रित करें. मन को भटकने न देंब्रह्मचर्य और सात्विकता: जब तक आप पाठ कर रहे हैं, ब्रह्मचर्य का पालन करें और घर में लहसुन-प्याज जैसे तामसिक भोजन का प्रयोग न करें.सही विधि और पूरी श्रद्धा से किया गया दुर्गा सप्तशती का पाठ न केवल आपकी चिंताओं को दूर करता है, बल्कि आपके घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास भी कराता है.