Chhath Puja Vrat : छठ पूजा में उपवास क्यों और कैसे रखा जाता है, जानें धार्मिक महत्व और नियम
UPUKLive Hindi October 28, 2025 07:42 AM

Chhath Puja Vrat : छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें सूर्य भगवान और छठी मईया की विशेष पूजा होती है। इस पर्व में व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं, जो सभी व्रतों में सबसे कठिन माना जाता है।

अगर आप भी छठ पूजा पर उपवास रखने जा रहे हैं तो इन 10 नियमों को जरूर जान लें, ताकि आपका व्रत सफल हो और उसका फल आपको प्राप्त हो।

नहाय-खाय का पहला दिन

छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय कहलाता है। इस दिन व्रती और उनके परिवार के सभी सदस्य सात्विक भोजन करते हैं। मांसाहार, लहसुन, प्याज और अन्य तैलीय व्यंजन वर्जित हैं।

इस दिन चने की दाल, अरवा चावल का भात और कद्दू की सब्जी खाने की सलाह दी जाती है। खाने में सेंधा नमक का ही उपयोग करें।

खरना का दूसरा दिन

छठ का दूसरा दिन खरना कहलाता है। इस दिन व्रती दिन भर उपवास रखते हैं। शाम को मिट्टी के चूल्हे पर तैयार किया गया प्रसाद खाया जाता है, जिसमें ठेकुआ, रोटी और गुड़ वाली खीर प्रमुख होती हैं।

प्रसाद की तैयारी और पवित्रता

छठ पूजा का प्रसाद नई टोकरी, डगरा या दउरा में रखा जाता है। सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए सूप या थाल का इस्तेमाल करें। यह सभी सामग्री नई और स्वच्छ होनी चाहिए।

स्वच्छता और पवित्रता

पूजा और व्रत के दौरान स्वच्छता बहुत जरूरी है। व्रती को नए कपड़े पहनने चाहिए और घर तथा पूजा स्थल को पूरी तरह से साफ रखना चाहिए।

 ब्रह्मचर्य और मानसिक शांति

छठ व्रत में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें। लोभ, मोह, क्रोध और घृणा जैसी नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें। बिस्तर पर नहीं, बल्कि जमीन पर चटाई बिछाकर सोना चाहिए।

प्रसाद का सही भोग

छठी मईया को भोग लगाकर ही प्रसाद किसी को दें। अगर प्रसाद को पहले खा लिया गया तो उसे जूठा माना जाएगा।

संध्या अर्घ्य

तीसरे दिन व्रती संध्या अर्घ्य देते हैं। शाम को बांस के सूप में फल, ठेकुआ और कसार (चावल के लड्डू) रखकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दौरान छठी मईया के गीत और कथाएँ सुनी जाती हैं।

उषा अर्घ्य

छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन उषा अर्घ्य होता है। प्रात:काल व्रती घाट पर जाकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

व्रत का पारण

उषा अर्घ्य के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करके 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण करते हैं।

मानसिक और शारीरिक संयम

छठ व्रत केवल शारीरिक अनुशासन नहीं बल्कि मानसिक संयम का भी पर्व है। संयम और श्रद्धा से किया गया व्रत अधिक फलदायी होता है।

छठ पूजा का व्रत कठिन जरूर है, लेकिन इन नियमों का पालन करके आप इसे सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं और छठी मईया की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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