Utpanna Ekadashi Katha in Hindi: हर एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में अपना अलग महत्व होता है. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को बेहद खास माना गया है, क्योंकि इसी तिथि से एकादशी व्रत रखने की शुरुआत की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन एकादशी माता की उत्पत्ति हुई थी. इसी वजह से इसका नाम उत्पन्ना एकादशी रखा गया. पौराणिक मान्यता के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी व्रत करने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है.
आज यानी 15 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जा रहा है. उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण अगले दिन 16 नवंबर को दोपहर 01:10 से लेकर दोपहर 3:18 बजे के बीच किया जाएगा. इस व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त करने के लिए जरूरी होता है कि आप एकादशी की व्रत कथा को जरूर पढ़ें. ऐसे में आइए पढ़ते हैं मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष एकादशी की कथा.
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा (Utpanna Ekadashi ki Vrat Katha)उत्पन्ना एकादशी माता के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में मुर नामक एक शक्तिशाली राक्षस था, जिसने अपनी शक्ति के बल पर देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली थी. मुर राक्षस से परेशान होकर देवराज इंद्र समेत सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी और विष्णु ने मुर का वध करने का आश्वासन दिया.
जब भगवान विष्णु, मुर से युद्ध के बाद विश्राम करने के लिए हेमवती गुफा में गए, तो उस समय राक्षस मुर ने उन पर हमला करने की कोशिश की. इसी समय भगवान विष्णु के शरीर से एक दिव्य और सुंदर कन्या (एकादशी देवी) प्रकट हुईं और उन्होंने मुर राक्षस का वध किया.
भगवान विष्णु ने जब इस कन्या को देखा, तो उन्होंने पूछा कि वह कौन हैं. फिर कन्या ने बताया कि वे उनके ही शरीर के तेज से उत्पन्न हुई हैं. एकादशी देवी से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनका नाम एकादशी रखा और वरदान दिया कि जो भी इस तिथि को उनका व्रत करेगा, उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होगी.
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)