दिसंबर शायरी हिंदी में: दिसंबर का महीना दिल में सुकून और यादों की लहरें लाता है। इस ठंडे मौसम में प्यार, दर्द और एहसासों से भरी शायरी मन को छू जाती है। आइए पढ़ते हैं दिसंबर की शायरी हिंदी में।
दिसंबर साल का अंतिम महीना है, लेकिन यह एक शांतिपूर्ण एहसास देता है। ठंडी हवा, नरम धूप और जल्दी ढलती शामें हमें यह संकेत देती हैं कि हमें थोड़ा रुकना चाहिए और दिल के बोझ को हल्का करना चाहिए। इसे यादों का महीना कहा जाता है क्योंकि यह पूरे साल की मीठी और कड़वी यादों को फिर से जीवित करता है।
दिसंबर का ठंडा मौसम लोगों को एक-दूसरे के करीब लाता है। लंबी रातों में आने वाले कल के सपने आकार लेने लगते हैं। कई प्रसिद्ध शायरों ने दिसंबर पर खूबसूरत शेर लिखे हैं, जिन्हें पढ़कर ठंड के साथ गर्माहट का अनुभव होता है। आइए पढ़ते हैं दिसंबर पर लिखी गई कुछ चुनिंदा शायरी।
मैं एक बोरी में लाया हूँ भर के मूंगफली
किसी के साथ दिसम्बर की रात काटनी है
अज़ीज़ फैसल
सर्द ठिठुरी हुई लिपटी हुई सरसर की तरह
ज़िंदगी मुझ से मिली पिछले दिसम्बर की तरह
मंसूर आफाक
आप अपनी आग में हम हाथ तापेंगे अदीब
जब दिसम्बर साथ अपने बर्फ बारी लाएगा
कृष्ण अदीब
पिछले बरस तुम साथ थे मेरे और दिसम्बर था
महके हुए दिन रात थे मेरे और दिसम्बर था
चांदनी रात थी सर्द हवा से खिड़की बजती थी
उन हाथों में हाथ थे मेरे और दिसम्बर था
फरह शाहिद
अल्वी ये मोजिजा है दिसम्बर की धूप का
सारे मकान शहर के धोए हुए से हैं
मोहम्मद अल्वी
गले मिला था कभी दुख भरे दिसम्बर से
मेरे वजूद के अंदर भी धुंध छाई थी
तहजीब हाफी
हर दिसम्बर इसी वहशत में गुजारा कि कहीं
फिर से आंखों में तेरे ख्वाब न आने लग जाएं
रेहाना रूही
इरादा था जी लूंगा तुझ से बिछड़ कर
गुज़रता नहीं इक दिसम्बर अकेले
गुलाम मोहम्मद कासिर
हर दिसम्बर इसी वहशत में गुजारा कि कहीं
फिर से आंखों में तेरे ख्वाब न आने लग जाएं
रेहाना रूही
मुझ से पूछो कभी तकमील न होने की चुभन
मुझ पे बीते हैं कई साल दिसम्बर के बगैर
मोहम्मद अली जाहिर
दिसम्बर की सर्दी है उस के ही जैसी
ज़रा सा जो छू ले बदन कांपता है
अमित शर्मा मीत
रोते हैं जब भी हम दिसम्बर में
जम से जाते हैं ग़म दिसम्बर में
जो हमें भूल ही गया था उसे
याद आए हैं हम दिसम्बर में
इंद्र सराजी