बढ़ता गोल्ड इंपोर्ट ऐसे बन रहा इकोनॉमी के लिए मुसीबत, 150% का आ चुका है उछाल
TV9 Bharatvarsh December 04, 2025 02:42 PM

भारत की अर्थव्यवस्था इस समय एक बड़ी चुनौती से जूझ रही है. करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) लगातार बढ़ रहा है और इसकी सबसे बड़ी वजह चमकता हुआ सोना बन गया है. FY26 की दूसरी तिमाही में CAD बढ़कर 12.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो GDP का 1.3% है. पहली नजर में यह सिर्फ एक आर्थिक आंकड़ा लग सकता है, लेकिन इसके पीछे छिपा कारण सरकार और अर्थशास्त्रियों दोनों को चिंतित कर रहा है.

सोने के इंपोर्ट में तिमाही-दर-तिमाही 150% की जोरदार बढ़त ने पूरे ट्रेड बैलेंस की तस्वीर ही बदल दी है. यही नहीं, एक्सपोर्ट भी कमजोर पड़ा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत की स्थिति और चुनौतीपूर्ण होती जा रही है.

सोने का इंपोर्ट क्यों बना बड़ी परेशानी?

दूसरी तिमाही में गोल्ड इंपोर्ट उछलकर 19 बिलियन डॉलर पहुंच गया. भारतीय त्योहारों और शादी के सीजन में सोने की मांग हमेशा बढ़ जाती है, लेकिन इस बार बढ़ोतरी असामान्य रही. इसके उलट, माल का एक्सपोर्ट कम होकर करीब 109 बिलियन डॉलर पर रहा, जबकि इंपोर्ट बढ़कर 197 बिलियन डॉलर हो गया. ऐसे में मर्चेंडाइज ट्रेड गैप और भी गहरा होता जा रहा है. अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर बढ़ाए गए टैरिफ का भी एक्सपोर्ट पर सीधा असर पड़ा है. इससे भारतीय कंपनियों की शिपमेंट और कमजोर हुई.

सर्विस सेक्टर की मजबूती भी नहीं भर पाया गैप

सर्विस सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे मजबूत हिस्सा माना जाता है. इस तिमाही में IT और बिजनेस सर्विसेज़ की कमाई बढ़कर 101.6 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. रेमिटेंस भी 3639 बिलियन डॉलर तक बढ़े, जिससे CAD के दबाव को कुछ हद तक कम किया गया. लेकिन सोने के आयात से उपजे भारी ट्रेड गैप को यह भी संतुलित नहीं कर पा रहे.

फॉरेन इन्वेस्टमेंट भी कमजोर पड़ गया

कैपिटल अकाउंट सरप्लस घटकर 0.6 बिलियन डॉलर रह गया, जो पिछली तिमाही के 8 बिलियन डॉलर की तुलना में बहुत कम है. FDI और FPI दोनों में इनफ्लो कम हुआ है. विदेशी निवेशकों ने एक बार फिर भारतीय मार्केट से पैसा निकाला, जिससे बैलेंस ऑफ पेमेंट्स पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है. इसका सीधा असर भारतीय रिजर्व बैंक के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व पर पड़ा और तिमाही के दौरान लगभग 11 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई.

आगे की चुनौती, क्या होगा समाधान?

एनालिस्ट मानते हैं कि सर्विस एक्सपोर्ट और रेमिटेंस भारत की मजबूती बने रहेंगे, लेकिन यदि गोल्ड इंपोर्ट इसी रफ्तार से बढ़ा तो CAD और BoP पर दबाव बना रहेगा. ट्रेड गैप को नियंत्रित रखने के लिए गोल्ड इंपोर्ट को कम करना और एक्सपोर्ट को बढ़ाना अहम होगा. इसके अलावा, विदेशी निवेश की वापसी भी आर्थिक स्थिरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

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