परिंदों की वो जादुई उड़ान जब रूस में जमी बर्फ, तो वीटीआर की वादियों में गूँज उठी चहचहाहट
Newsindialive Hindi December 26, 2025 08:44 PM

News India Live, Digital Desk : दिसंबर की गुलाबी ठंड शुरू होते ही बिहार के चंपारण में एक अलग ही रौनक छा गई है। अगर आप इन दिनों वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) के पास से गुजरें, तो आपको सिर्फ बाघों की दहाड़ ही नहीं, बल्कि आसमान में हज़ारों मील दूर से आए विदेशी मेहमानों की सुरीली गूँज भी सुनाई देगी।जी हाँ, साइबेरिया और रूस के बर्फीले इलाकों से हज़ारों पक्षी अपनी जान जोखिम में डालकर बिहार पहुँच चुके हैं। ये सिर्फ़ एक उड़ान नहीं है, बल्कि ज़िंदा रहने का वो संघर्ष है जिसे देख इंसान भी हैरत में पड़ जाए।20,000 किलोमीटर का सफर... कोई मज़ाक नहीं!कल्पना कीजिए, एक छोटा सा पक्षी बिना किसी मैप या नेविगेशन के 20 हज़ार किलोमीटर का फासला तय करता है। जब रूस और साइबेरिया में तापमान शून्य से भी कई डिग्री नीचे चला जाता है और नदियाँ जम जाती हैं, तब ये पक्षी सूरज की गर्मी की तलाश में भारत का रुख करते हैं। इनके पंखों में इतनी जान और हौसलों में इतनी उड़ान होती है कि ये हिमालय जैसे ऊँचे पहाड़ों को लांघकर सीधे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जलाशयों और नम भूमियों (Wetlands) में उतरते हैं।क्यों वीटीआर (VTR) ही बना इनका ठिकाना?वाल्मीकि नगर के जंगल और वहां मौजूद जलस्रोत इन परिंदों के लिए किसी 'लग्जरी रिजॉर्ट' से कम नहीं हैं। यहाँ की आबोहवा में मौजूद शांति और खाने की प्रचुरता इन्हें आकर्षित करती है। इनमें पिंटेल, कॉमन टील और ब्राह्मणी बतख जैसे कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी शामिल हैं। यह देखकर सुकून मिलता है कि जहां इंसान सरहदों में बँटा है, वहीं ये पंछी हर साल दोस्ती का पैगाम लेकर बिहार पहुँचते हैं।टूरिस्ट्स के लिए आंखों का ताराइन मेहमान पक्षियों के आने से VTR में पर्यटकों की संख्या अचानक बढ़ गई है। वाइल्डलाइफ लवर्स और फोटोग्राफर्स सुबह-सुबह कैमरों के साथ इन जलीय पक्षियों की अठखेलियों को कैद करने पहुँच रहे हैं। झील के शांत पानी में जब ये झुंड बनाकर एक साथ गोता लगाते हैं, तो वह नज़ारा ऐसा होता है जिसे आप ताउम्र भूल नहीं पाएंगे।हल्की सी लापरवाही पड़ सकती है भारीभले ही ये पक्षी यहाँ मेहमान बनकर आए हैं, लेकिन वन विभाग और स्थानीय लोगों की ज़िम्मेदारी बढ़ गई है। तेज़ आवाज़ या गन्दगी इन विदेशी मेहमानों को डरा सकती है। प्रकृति के इन अनमोल तोहफों की सुरक्षा करना हम सबका फर्ज़ है ताकि हर साल ये नन्हे फरिश्ते बिना डरे बिहार की मिट्टी पर उतर सकें।अगर आप भी प्रकृति और सुकून के कुछ पल बिताना चाहते हैं, तो इस विंटर सीजन में वीटीआर (VTR) जाकर इन 'इंटरनेशनल ट्रेवलर्स' का स्वागत ज़रूर करें।

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