मुस्लिम बोहरा क्या बाकी मुस्लिमों से अलग होते हैं?
एबीपी लाइव September 25, 2024 04:12 PM

Bohra Muslim Community: बोहरा मुस्लिम, मुस्लिमों की ही एक जाति है, जो शिया संप्रदाय के आदर्शों का पालन करती है. इस समुदाय के लोग मुख्य तौर पर व्यापार जैसे कामों में लगे रहते हैं. बात की जाए भारत की तो भारत देश में बोहरा मुस्लिमों की आबादी 20 लाख से ज्यादा है. जिनमें 15 लाख दाऊदी बोहरा (Dawoodi Bohra) है.

भारत में बोहरा जाति का आगमन (When did Bohras come to India?)
11वीं शताब्दी में मुस्ताली मत ने धर्म प्रचारकों के माध्यम से भारत में अपनी जगह बनाई. 1539 के बाद जब भारत में इसका समुदाय बड़ा हो गया तो, इस मत का मुख्यालय यमन से भारत के सिद्धपुर में स्थानांतरित किया गया. इसके बाद साल 1588 को वो दौर आया जब दाऊद बिन कुतुब शाह और सुलेमान के अनुयायियों की वजह से बोहरा समुदाय आपस में बंट गया. हालांकि इनके धार्मिक सिद्धांतों में कुछ खास अंतर नहीं था.

दाऊदी बोहरा (Dawoodi Bohra) शियाओं के आदर्शों को मानता है. जो मुख्य तौर पर गुजरात के सूरत, जामनगर, राजकोट, अहमदाबाद, दाहोद और महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे, नागपुर, राजस्थान के उदयपुर, भीलवाड़ा और मध्य प्रदेश के उज्जैन, इंदौर, शाजापुर जैसे शहरों में रहते हैं. दाऊदी बोहरा सबसे पहले मुंबई आए थे. वही यमन और सऊदी अरब में बोहरा मुस्लिम समुदायों की संख्या काफी अधिक है.

बोहरा समुदाय की अनोखी परंपरा
दाऊदी बोहरा (Dawoodi Bohra) समुदाय के ज्यादातर लोगों के घर में एक समय का खाना कॉमन किचन से आता है. बोहरा समुदाय जहां-जहां भी रहते हैं, वहां ये समुदाय मिलकर कॉमन किचन (सांझा चूल्हा) चलाता है. वहां बनने वाले खाने को उन्हीं के समुदाय के लोगों द्वारा घर-घर तक पहुंचाया जाता है. बोहरा मुसलमान पर्यावरण और साफ-सफाई को लेकर काफी गंभीर होते हैं.  

मुसलमानों का ये समुदाय काफी समृद्ध और पढ़ा-लिखा होता है. बोहरा समुदाय में ज्यादातर लोग व्यापार करते हैं, तो कुछ लोग किसानी का काम. दाऊदी बोहरा बेहद शांत और सौम्य प्रवृति के होते हैं.

दाऊदी बोहरा की विरासत
दाऊदी बोहरा (Dawoodi Bohra) मुसलमानों की विरासत फातिमी इमामों से संबंध रखती है, जिन्हें पैगंबर मोहम्मद का प्रत्यक्ष वंशज भी कहा जाता है. 10वीं से 12वीं शताब्दी के दौर में इस्लाम ने दुनिया पर शासन के दौरान ज्ञान, विज्ञान, वास्तुकला, कला साहित्य और ढेरों उपलब्धियां हासिल कर इस्लाम धर्म को समृद्ध बनाया. जो आज मानव सभ्यता की बहुमूल्य पूंजी है.

दाऊदी बोहरा (Dawoodi Bohra) इमामों के आदेशों को मानते हैं. बोहरा समुदाय के 21वें और अंतिम इमाम तैयब अबुल क़ासिम थे. उनके बाद 1132 से आध्यात्मिक गुरूओं की परंपरा की शुरुआत होती है. बोहरा समुदाय के लोग सूफियों (Sufi) और मजारों पर अटूट विश्वास रखते हैं. दाऊदी बोहरा समुदाय इस्माइली शिया (Shia) समुदाय का उप समुदाय है. 
 
यह भी पढ़ें - मुस्लिम आबादी दुनिया में कितनी है, औरतों की आजादी को लेकर क्या कहता है इस्लाम?
 
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें
© Copyright @2024 LIDEA. All Rights Reserved.