World Osteoporosis Day 2024: मेनोपॉज के बाद महिलाओं में बढ़ जाता है ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
GH News October 19, 2024 06:08 PM

वर्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे हर साल 20 अक्टूबर को मनाया जाता है, ऐसे में आज हम डॉक्टर्स से इस बीमारी के बारे में जानेंगे.

ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसे ‘साइलेंट थीफ’ कहा जाता है, क्योंकि यह बिना किसी लक्षण के बढ़ती है, जिससे लाखों लोग फ्रैक्चर के शिकार हो जाते हैं. इस साल की थीम, ‘नाज़ुक हड्डियों को न कहें’ है. वर्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे हर साल 20 अक्टूबर को मनाया जाता है.

ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी समस्या जिससे दुनिया भर में करीब 200 मिलियन लोग प्रभावित हैं. मेनोपॉज के बाद महिलाओं को इसका ज्यादा रिस्क होता है. हालांकि, पुरुष भी इसकी चपेट में आने से बचते नहीं हैं, इसलिए सभी लोगों को कमजोर हड्डियों से जुड़े रिस्क के बारे में समझना जरूरी है. ऐसे में आज हम डॉक्टर हेमंत शर्मा जो मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स गुरुग्राम में हड्डी विभाग, जॉइंट रिप्लेसमेंट व स्पाइन सर्जरी के चेयरमैन हैं और डॉक्टर राजेश वर्मा ऑर्थोपेडिक्स, जॉइंट रिप्लेसमेंट व स्पाइन सर्जरी विभाग के डायरेक्टर से इसके बारे में जानेंगे.

  • क्या है ऑस्टियोपोरोसिस?

ऑस्टियोपोरोसिस एक हड्डियों से जुड़ी समस्या है, जिसमें हड्डियां कमजोर और भंगुर (brittle) हो जाती हैं. यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें आपकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और टूटने की संभावना बढ़ जाती है.

  • ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण-

इसके लक्षणों में पीठ या कमर में दर्द, हड्डियों का आसानी से टूटना, कद का घट जाना और हल्के झटके या चोट से फ्रैक्चर होना शामिल है. कई बार लोग बिना किसी बड़े कारण के भी फ्रैक्चर का सामना कर सकते हैं. इस बीमारी से बचाव के लिए समय पर इलाज और उचित खानपान बेहद ज़रूरी है.

  • मुख्य कारण:

हार्मोनल परिवर्तन: महिलाओं में मेनोपॉज़ के बाद एस्ट्रोजेन का स्तर कम होने से
आहार: कैल्शियम और विटामिन D की कमी
शारीरिक गतिविधि की कमी: नियमित व्यायाम न करने से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं
धूम्रपान और शराब: इनका सेवन हड्डियों को प्रभावित कर सकता है
अन्य स्वास्थ्य स्थितियां: जैसे थायरॉयड की समस्याएं
कमजोरी: धीरे-धीरे हड्डियों की ताकत में कमी
कमर दर्द: विशेषकर जब हड्डियों में फ्रैक्चर होता है
कद में कमी: समय के साथ रीढ़ की हड्डियों में बदलाव के कारण
मांसपेशियों में दर्द: हड्डियों की कमजोरी के कारण मांसपेशियों में तनाव.

ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होने वाले फ्रैक्चर से व्यक्ति की आजादी छिन जाती है, दिव्यांगता और मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है, ऐसे में इस बीमारी से रोकथाम और इसका शुरुआती स्टेज पर मैनेजमेंट जरूरी हो जाता है. वैसे तो ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या एडल्ट लोगों में होती है लेकिन इसका आधार अक्सर बचपन में होता है. यही कारण है कि डॉक्टर लोगों से बच्चों और नवजातों को सही मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी देने की बात कहते हैं.

  • विटामिन डी की कमी बन सकती है कारण-

बच्चे की ग्रोथ के दौरान कैल्शियम का अवशोषण सबसे अधिक होता है, ये लगभग 75% तक होता है. जबकि बड़े होने पर हम कुल कैल्शियम सेवन का केवल 20 से 40% ही अवशोषित कर पाते हैं. ऐसे में शरीर में विटामिन डी की कमी से ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर का खतरा भी बढ़ जाता है, इसलिए ऑस्टियोपोरोसिस के मरीज के इलाज में न केवल कैल्शियम सप्लीमेंटेशन बल्कि विटामिन डी सप्लीमेंटेशन भी होना चाहिए. बोन मास की मात्रा लगभग 60% होती है. इसलिए अगर मां को ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर होता है, तो बेटी को भी इसके होने का रिस्क रहता है.

ऑर्थोपेडिक्स, जॉइंट रिप्लेसमेंट व स्पाइन सर्जरी विभाग के चेयरमैन डॉक्टर हेमंत शर्मा ने बताया आमतौर पर ऑस्टियोपोरोसिस का पता पहले फ्रैक्चर के बाद चलता है, लेकिन तब तक हड्डियों का काफी नुकसान हो चुका होता है. ऐसे में जरूरी है कि लगातार बोन डेंसिटी टेस्टिंग कराई जाए, खासकर 50 से ज्यादा उम्र के लोग ऐसा जरूर करें. किसी भी समस्या से बचने के लिए रोकथाम बेहद महत्वपूर्ण होता है, लाइफस्टाइल में कुछ सामान्य बदलाव, प्रॉपर न्यूट्रिशन, रेगुलर एक्सरसाइज और अर्ली मेडिकल इंटरवेंशन फ्रैक्चर के रिस्क को काफी कम कर सकते हैं.”

  • कैसे करें बचाव-

ऑस्टियोपोरोसिस के प्रिवेंशन के लिए शुरुआती उपायों में रेगुलर चेकअप शामिल है. खासकर 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोग या जिनके परिवार में ऑस्टियोपोरोसिस की हिस्ट्री रही है, उन्हें मजबूत हड्डियों के आवश्यक उचित पोषण को बनाए रखने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर खाना जरूरी है. वजन उठाने वाली और मांसपेशियों को मजबूत करने वाली एक्सरसाइज करनी चाहिए, इससे हड्डियों के नुकसान को धीमा करने में मदद मिल सकती है. अपने रूटीन में ऐसे काम न करें जो हड्डियों के स्वास्थ्य पर गलत असर डालते हैं. जिन लोगों में ज्यादा रिस्क होता है उनके लिए हड्डियों को मजबूत करने और फ्रैक्चर को रोकने के लिए दवाओं से भी लाभ हो सकता है.

© Copyright @2024 LIDEA. All Rights Reserved.