हर दिवाली पर मां लक्ष्मी की नई मूर्ति खरीदना क्यों होता है आवश्यक…
Richa Srivastava October 28, 2024 12:27 AM

सनातन धर्म का सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार दिवाली, हर वर्ष अपार उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस विशेष दिन का महत्व सिर्फ़ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक भी है. दीपावली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विधि-विधान से की जाती है, और यह समय परिवार, मित्रों और समाज के साथ मिलकर खुशियों को बांटने का होता है.

lord ganesha and maa laxmi

दिवाली पर नयी मूर्तियों की खरीद का महत्व
दिवाली के दौरान, लोग हर वर्ष मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की नयी मूर्तियां खरीदते हैं. परंतु, क्या आपने कभी सोचा है कि हर दीपावली पर मां लक्ष्मी की नयी मूर्ति खरीदना क्यों जरूरी होता है? इसके पीछे कुछ जरूरी मान्यताएं और परंपराएं हैं.

प्राचीन मान्यता के अनुसार, दीपावली पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा की स्थापना से घर में धन, समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है. ऐसा माना जाता है कि जिस घर में मां लक्ष्मी की पूजा होती है, वहां दरिद्रता नहीं आती. इसी कारण से लोग दीपावली के अवसर पर नयी मूर्तियां खरीदने का परंपरा बनाते हैं.

प्राचीन काल की परंपरा
भारत में विभिन्न क्षेत्रों में दीपावली पर मां लक्ष्मी की मूर्तियों को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं. प्राचीन काल में, सिर्फ़ धातु और मिट्टी की मूर्तियों का प्रचलन था. मिट्टी की मूर्तियों की पूजा अधिक की जाती थी, क्योंकि इन्हें घर में लाना और स्थापित करना आसान था.

ये मूर्तियां समय के साथ खंडित और बदरंग हो जाती थीं, जिसके कारण हर वर्ष नयी प्रतिमा स्थापित करने की परंपरा बनी. यह परंपरा आज भी जारी है, और लोग इस अवसर पर नयी मूर्तियां खरीदते हैं ताकि घर में नयी ऊर्जा का संचार हो सके.

दिवाली मनाने की ठीक तिथि
दिवाली का पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 03 मिनट पर प्रारम्भ होगी और 1 नवंबर को शाम 5 बजकर 38 मिनट तक रहेगी. इस दिन विशेष रूप से पूजा का आयोजन रात को किया जाता है, इसलिए उदया तिथि के मुताबिक दीपावली 1 नवंबर को मनाई जाएगी.

पूजा में नयी मूर्तियों का आध्यात्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, दीपावली पर नयी मूर्ति स्थापित करने से एक आध्यात्मिक विचार का संचार होता है. गीता में श्रीकृष्ण ने बोला है कि दीपावली के अवसर पर नयी मूर्ति खरीदने से घर में नयी ऊर्जा का संचार होता है. यह ऊर्जा न सिर्फ़ भौतिक समृद्धि लाती है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी जरूरी होती है.

विशेष रूप से मिट्टी की मूर्तियों की स्थापना करना शुभ माना जाता है, जबकि सोने या चांदी की मूर्तियों को वर्ष भर तिजोरी में रखा जाता है. इनकी पूजा सिर्फ़ दीपावली के दिन की जाती है और फिर इन्हें वापस तिजोरी में रखा जाता है.

किस प्रकार की मूर्तियां खरीदें
मां लक्ष्मी की मूर्तियां: पूजा के लिए मां लक्ष्मी की ऐसी मूर्ति खरीदें जिसमें वह कमल के फूल पर विराजमान हों. उनका हाथ वरमुद्रा में होना चाहिए, जिससे धन की वर्षा का प्रतीक बनता है.

उल्लू वाली मूर्तियों से बचें: ज्योतिष के अनुसार, दीपावली पर मां लक्ष्मी की ऐसी मूर्ति न चुनें जिसमें वह अपने वाहन उल्लू पर बैठी हों. ऐसी मूर्तियां काली लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती हैं, जो घर में सुख-संपन्नता का अभाव ला सकती हैं.

खड़ी मूर्तियों से परहेज करें: कभी भी लक्ष्मी मां की ऐसी मूर्ति न खरीदें जिसमें वह खड़ी हों. यह लक्ष्मी मां के जाने की मुद्रा मानी जाती है, जो दर्शाती है कि वह घर से प्रस्थान कर रही हैं.

गणेश जी की मूर्ति का महत्व: मां लक्ष्मी की मूर्ति के साथ भगवान गणेश जी की मूर्ति अवश्य होनी चाहिए. हिन्दू धर्म में गणेश जी को पहले पूजा जाने वाला देवता माना जाता है. भगवान गणेश की मूर्ति उनके वाहन मूषक के साथ होनी चाहिए, क्योंकि वह मूषक पर सवार होकर एक जगह से दूसरे जगह पर जाते हैं.

मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखने योग्य बातें
अक्सर लोग अज्ञानता या भूल के कारण भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय कुछ गलतियां कर देते हैं. वे ऐसी मूर्तियां घर ले आते हैं, जिनकी पूजा करना शुभ नहीं माना जाता.

धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियों की खरीद को बहुत शुभ माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, दीपावली पर मूर्ति पूजन के लिए विशेष ध्यान रखें कि लक्ष्मी-गणेश की एक साथ वाली मूर्ति न खरीदें. इसके बजाय, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की भिन्न-भिन्न मूर्तियां ही खरीदें.

 

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