उत्तराखंड में नए रोजगार के अवसर प्रदान करेगा बर्ड वाचिंग
Krati Kashyap October 30, 2024 07:28 PM

देहरादून : पहली बार उत्तराखंड में बर्ड वाचिंग के बढ़ते क्रेज और इसके पर्यटन क्षेत्र में संभावित सहयोग का आकलन किया जा रहा है. पूरी दुनिया में कई राष्ट्रों ने बर्ड वाचिंग को एक उद्योग का दर्जा दे दिया है और अब उत्तराखंड भी उसी दिशा में कदम बढ़ा रहा है. प्रदेश में पहले से ही 15 से अधिक बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन उपस्थित हैं और वन विभाग (Forest Department) बाकी क्षेत्रों को भी इस उद्देश्य के लिए प्रमोट कर रहा है. इससे राज्य के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलने की पूरी आशा है.

दुनिया भर में पक्षी अवलोकन एक प्रमुख पर्यटन उद्योग बन चुका है. अमेरिका में इसका बाज़ार हर वर्ष 8 बिलियन यूएस $ तक पहुंच गया है और यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, तथा नीदरलैंड में बर्ड वाचिंग को पर्यटन में बड़ी पहचान मिली है. हिंदुस्तान में भी बर्ड वाचर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है और 2015 की एक रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुस्तान में 45 हजार बर्ड वाचर्स है. यह संख्या 2025 तक 2 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. उत्तराखंड में पक्षियों की 268 प्रजातियां पाई जाती हैं, जो महाराष्ट्र के बाद सबसे अधिक हैं.

उत्तराखंड के प्रमुख बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन्स
उत्तराखंड में बर्ड वाचिंग के प्रमुख डेस्टिनेशन्स हैं- मुनस्यारी-आस्कोट (पिथौरागढ़), पंगोट-सत्ताल-नैनीताल (नैनीताल), मर्चुला-मोहन-कुमेरिया(रामनगर), पवलगढ़-कोटाबाघ-सीताबनी (नैनीताल),आसन-टिमली (देहरादून), महेशखान (नैनीताल), चकराता-कोटी कनासर (देहरादून),देवलसारी-मैगरा (टिहरी गढ़वाल), चोपता(रुद्रप्रयाग), आगोरा-बर्सू-दयारा (जिला उत्तरकाशी). इस क्षेत्र में बर्ड वाचिंग की अपार संभावनाएं देखते हुए उत्तराखंड का वन विभाग अब इसे पर्यटन का एक नया चेहरा बनाने के लिए कार्यरत है.

बर्ड फेस्टिवल से बर्ड वॉचिंग को मिल रहा है बढ़ावा
राज्य में पिछले कई वर्ष से बर्ड फेस्टिवल्स का आयोजन किया जा रहा है, जिनके जरिए न केवल नए डेस्टिनेशन्स प्रमोट किए जा रहे हैं, बल्कि क्षेत्रीय समुदायों और पर्यटकों के बीच बर्ड वाचिंग की समझ भी बढ़ाई जा रही है. हाल ही में 18 से 20 अक्टूबर तक मसूरी सेंचुरी के बिनोव में तीन दिवसीय बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से पक्षी प्रेमियों ने हिस्सा लिया था.

डॉ. धनंजय मोहन का योगदान
उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया प्रमुख वन संरक्षक डाक्टर धनंजय मोहन जो बर्ड एक्सपर्ट के रूप में मशहूर हैं, राज्य में बर्ड वाचिंग को प्रमोट करने में अहम किरदार निभा रहे हैं. वे पहले ही बर्ड कंजर्वेशन पर पुस्तक लिख चुके हैं और 45 अध्ययन पत्रों का सहयोग दे चुके हैं. उन्होंने देशभर के अनुभवी बर्ड वाचर्स से चर्चा कर नए विचारों का आदान-प्रदान किया है. उनके अनुसार, यूरोप के कई राष्ट्रों में बर्ड वाचिंग इंडस्ट्री के रूप में स्थापित हो चुकी है और उत्तराखंड में भी इसे उसी स्तर पर लाने की प्रयास हो रही है. पहली बार उत्तराखंड में बर्ड वाचिंग को एक उद्योग के रूप में विकसित करने की संभावनाओं का शोध किया जा रहा है.

सतत और सुरक्षित बर्ड वाचिंग की पहल
वन विभाग बर्ड वाचिंग के दौरान गलत प्रथाओं को रोकने के लिए भी ठोस कदम उठा रहा है. इनमें घोंसलों के अधिक पास जाना, पक्षियों को आर्टिफिशियल खाना देना या तेज म्यूजिक बजाना जैसी गतिविधियां शामिल हैं, जो पक्षियों को हानि पहुंचा सकती हैं. इस दिशा में जागरूकता बढ़ाने के लिए वॉलंटियर्स को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है.

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