दिल का साइज बढ़ने को कार्डियोमेगाली कहते हैं. दिल बढ़ने के कुछ लक्षण शरीर पर दिखाई देते हैं जैसे- सांस लेने में दिक्कत होना, घुटनों में सूजन होना, चक्कर आना, सीने में गंभीर दर्द होना आदि शामिल है. दिल का जब आकार बढ़ता है तो दिल को ब्लड पंप करने में काफी ज्यादा परेशानी होती है. इसके कारण दिल से जुड़ी परेशानियां या स्ट्रोक का खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आमतौर पर दिल का आकार मुट्ठी भर का होता है लेकिन दिल का औसत वजन करीब 10 औंस का होता है. छाती के बीच थोड़ा बाई ओर होता है. शरीर के पूरे हिस्स में ब्लड सर्कुलेशन का काम दिल का ही होता है. इसके कारण स्ट्रेस, इंफेक्शन और दिल से जुड़ी बीमारी का खतरा कम होता है. प्रेग्नेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने से या दिल की बीमारी के कारण दिल का साइज बढ़ सकता है.
उम्र बढ़ने के साथ दिल का आकार थोड़ा बढ़ सकता है. खास तौर पर लेफ्ट तरफ के वेंट्रिकल. दिल की दीवार मोटी हो सकती है. जिससे दिल को खून से भरना मुश्किल हो सकता है.
काफी ज्यादा एक्सरसाइज के कारण दिल का आकार और आकृति बदल सकती है. इसे एथलेटिक हार्ट कहा जाता है और इससे कुछ लोगों में दिल से जुड़ी कुछ समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है.
कार्डियोमेगाली के रूप में भी जाना जाता है. एक बढ़ा हुआ दिल एक अंतर्निहित समस्या का लक्षण हो सकता है. इसमें हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, थायरॉयड रोग या गर्भावस्था शामिल हो सकती है.
कुछ लोग ऐसी स्थितियों के साथ पैदा होते हैं जो बढ़े हुए दिल का कारण बन सकती हैं. बढ़े हुए दिल का निदान छाती के एक्स-रे, इकोकार्डियोग्राम, कार्डियक कैथीटेराइजेशन, रक्त परीक्षण, सीटी स्कैन, एमआरआई, व्यायाम और तनाव परीक्षण या बायोप्सी से किया जा सकता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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