नैनीताल: उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल अपनी खूबसूरत झील के लिए पूरे विश्व में जानी जाती है। पुराणों में भी इस स्थान का जिक्र मिलता है जहां इसे ऋषी सरोवर बोला गया है। नैनीताल के नैनीझील के पानी को मानसरोवर के जल की तरह ही पवित्र माना जाता था। वहीं समय के साथ ही इस झील के चारों तरफ स्थित खूबसूरत हरे भरे पहाड़ों ने भी कंक्रीट के जंगल का रूप ले लिया। नैनीताल की इन पहाड़ियों में ताबड़तोड़ निर्माण हुआ जिसका असर झील की गहराई पर भी देखने को मिला। चार वर्ष पहले झील का वैज्ञानिक विधि से सर्वेक्षण कर झील की गहराई नापी गई। सर्वेक्षण के बाद झील की अधिकतम गहराई 27.15 मीटर दर्ज की गई। जबकि कुछ वर्ष पहले झील की अधिकतम गहराई 30.15 मीटर थी। ऐसे में झील किनारे ताबड़तोड़ निर्माण और झील में लगातार जा रही सिल्ट और गंदगी के कारण झील की गहराई में भी कमी आ रही है।
नैनीताल स्थित सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीडी सती ने लोकल18 से खास वार्ता के दौरान कहा कि वर्ष 2019 में देहरादून के वैज्ञानिकों के द्वारा नैनी झील का बैथोमैट्रिक विश्लेषण कार्य किया गया था। जिसमें झील की गहराई, पानी की गुणवत्ता को मापा गया था। वैज्ञानिकों द्वारा परीक्षण कार्य कर नमूने लिए गए थे। और कई बिंदुओं पर झील की गहराई भी नापी गई थी। डीडी सती ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर झील के चार प्वाइंट सर्वाधिक गहरे है, जिसमें पाषाण देवी मंदिर के नजदीक सर्वाधिक गहराई 27.15 मीटर है। इसके अतिरिक्त झील की औसतन कुल गहराई 17.76 मीटर है। उन्होंने कहा कि झील को रिचार्ज करने वाले नालों की सफाई भी समय समय पर सिंचाई विभाग द्वारा की जाती है। इसके अतिरिक्त नैनीताल नगर पालिका द्वारा भी झील की सफाई की जाती है।
इस कारण कम हुई झील की गहराई
नैनीताल निवासी प्रोफेसर ललित तिवारी बताते हैं कि झील के किनारे ताबड़तोड़ निर्माण और झील को रिचार्ज करने वाले नालों के चोक होने के कारण और झील में लगातार सिल्ट जाने के कारण झील की गहराई में कमी आने लगी और इसका पारिस्थितिकीय तंत्र भी बिगड़ने लगा। झील में सिल्ट की मात्रा बढ़ने के कारण झील के अंदर झील को रिचार्ज करने वाले जलस्रोत भी सुख चुके है। जिससे आने वाले समय में जलसंकट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा की झील की गहराई 30 मीटर से भी अधिक थी। लेकिन झील में जमा सिल्ट के कारण इसकी गहराई में भी कमी आ रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में झील सर्वाधिक पाषाण देवी मंदिर के पास गहरी है। वहीं झील के भीतर चट्टानें होने से झील की गहराई नापना भी मुश्किल है।
पानी भी हुआ दूषित
स्थानीय निवासी और नाव चालक समिति के अध्यक्ष राम सिंह ने कहा कि नैनीझील नैनीताल वासियों के लिए वरदान है। वहीं नाव चालकों के लिए ये झील उनकी रोजी रोटी है। उन्होंने कहा कि नैनीझील के आस पास के पहाड़ों में काफी भवनों का निर्माण हो गया है। वहीं लोगों द्वारा अपने घरों का कूड़ा भी नालों में डाला जाता है जो बहकर झील में आता है। और झील का पानी दूषित होता है। वहीं नैनीताल आने वाले पर्यटक भी नैनीझील में कूड़ा डालते हैं। जिससे नैनीझील का पारिस्थितिकीय तंत्र भी बिगड़ता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में झील पाषाण देवी मंदिर के नजदीक सबसे अधिक गहरी है।