बिलासपुर: छत्तीसगढ़ राज्य के 24वें स्थापना दिवस पर बिलासपुर में आयोजित राज्य उत्सव कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने अपनी मधुर आवाज से छत्तीसगढ़ी गीतों का रंग बिखेरा। कार्यक्रम में उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोकसंगीत की सराहना करते हुए विशेष रूप से राज्य गीत “अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार” का गायन किया, जो सभी को भाव-विभोर कर गया। मैथिली ठाकुर की प्रस्तुति ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति और भाषा की मिठास को और भी गहरा कर दिया।
मैथिली ठाकुर ने छत्तीसगढ़ी भाषा में गाए गए इस राजगीत के माध्यम से राज्य की मिट्टी और संस्कृति का सम्मान किया। प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने बोला कि छत्तीसगढ़ अपने लोकगीतों और संस्कृति के लिए विशेष पहचान रखता है, और यह गीत राज्य की ऐतिहासिक धरोहर का एक अहम हिस्सा है।
ये गीत राज्य की संस्कृति और जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है
“अरपा पैरी के धार” छत्तीसगढ़ का राजगीत है, जिसे नरेन्द्र देव वर्मा द्वारा लिखा गया था। इसे नवंबर 2019 में आधिकारिक रूप से राज्य गीत का दर्जा प्राप्त हुआ था। इस गीत में छत्तीसगढ़ की पवित्र नदियों, घाटियों और प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया गया है, जो राज्य की संस्कृति और जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है।
मैथिली ठाकुर द्वारा इस गीत का गायन छत्तीसगढ़ की गौरवमयी परंपरा को और भी ऊंचाई पर ले गया, जिससे राज्यवासियों में गर्व का रेट उत्पन्न हुआ।उनकी इस प्रस्तुति ने न सिर्फ़ छत्तीसगढ़ के लोकसंगीत को पुनर्जीवित किया, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को पूरे राष्ट्र के सामने प्रस्तुत किया।
गीतों ने लोगों को झूमने पर किया विवश
मैथिली के भजनों के साथ ही कथक नृत्यांगना ज्योतिश्री की कारगर प्रस्तुति ने भी कला प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया। लोक संगीत कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध लोक गायिका गरिमा दिवाकर और स्वर्णा दिवाकर की अंजोर छत्तीसगढ़ टीम ने भी श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।